SIR in Bihar: दरभंगा के बहादुरपुर विधानसभा में मुर्दे भी बोलते हैं, देखिए ग्राउंड रिपोर्ट

दरभंगा के बहादुरपुर विधानसभा क्षेत्र में कई जिंदा मतदाताओं को मतदाता सूची में मुर्दा घोषित कर दिया गया है. ग्राउंड जीरो से इस मामले की EXCLUSIVE ग्राउंड रिपोर्ट.

दरभंगा के बहादुरपुर विधानसभा क्षेत्र में कई जिंदा मतदाताओं को मतदाता सूची में मुर्दा घोषित कर दिया गया है. ग्राउंड जीरो से इस मामले की EXCLUSIVE ग्राउंड रिपोर्ट.

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Deepak Kumar Singh
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बिहार के दरभंगा जिले के बहादुरपुर विधानसभा क्षेत्र में एक अजीब और गंभीर मामला सामने आया है. आपको बता दें कि बहादुरपुर विधानसभा के बूथ नंबर 196 में करीब 75 मतदाताओं का नाम काटा गया है. तो कई मतदाताओं को मुर्दा घोषित कर दिया गया है, जबकि वे पूरी तरह जिंदा हैं. इन लोगों का कहना है कि उन्हें न केवल वोट देने का अधिकार छीन लिया गया है, बल्कि इससे उनके सरकारी लाभ जैसे वृद्धा पेंशन और राशन कार्ड तक प्रभावित हो रहे हैं.

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देखिए हमारे वरिष्ठ संवाददाता मोहित राज दुबे के साथ दरभंगा के बहादुरपुर विधानसभा से EXCLUSIVE GROUND ZERO रिपोर्ट...

SIR पर बड़ा खुलासा

ग्राउंड जीरो पर रिपोर्टिंग करते हुए पता चला कि एक ही घर में तीन लोग मुर्दा घोषित हैं. इनका कहना है कि वे चलते-फिरते हैं, बातचीत कर सकते हैं और पूरी तरह जिंदा हैं, फिर भी कागज में उन्हें मृत दिखाया गया. उदाहरण के तौर पर मोहम्मद दाऊद, भगिंदर मंडल, विमला देवी, शीला देवी और अनवर हुसैन जैसे कई लोग इस समस्या का सामना कर रहे हैं. सभी के पास आधार कार्ड और पुराना वोटर पहचान पत्र मौजूद है, जिसमें उनकी सही जानकारी दर्ज है. बावजूद इसके उन्हें "मुर्दा" घोषित कर दिया गया.

मोहम्मद दाऊद ने बताया कि उनकी उम्र 52 साल है, उनके पास सभी दस्तावेज हैं, फिर भी उन्हें मृत घोषित कर दिया गया. उनका डर यह भी है कि अगर वोटर सूची में नाम नहीं होगा तो वृद्धा पेंशन और राशन का लाभ नहीं मिलेगा. इसी तरह, 75 साल की आसमा खातून और विमला देवी जैसी बुजुर्ग महिलाएं भी जिंदा होने के बावजूद कागज में मृत हैं, जिससे उनके रोजमर्रा के जीवन में गंभीर असर पड़ रहा है.

लोगों ने बयां किया अपना दर्द

स्थानीय लोग आरोप लगा रहे हैं कि कुछ सरकारी कर्मचारी या बीच वाले लोग रिश्वत लेकर वोटर सूची में गड़बड़ी कर रहे हैं. कुछ मामलों में ₹400 की रिश्वत भी ली गई. इसके चलते कई गरीब और कमजोर वर्ग के लोग, जिनमें अल्पसंख्यक और दिहाड़ी मजदूर शामिल हैं, वोटर सूची में अपने अधिकारों से वंचित हो गए हैं. उन्हें पता है कि मतदान करना लोकतंत्र में सबसे बड़ा अधिकार है. उनका नाम हट जाने या मृत घोषित होने से न केवल वोट देने का अधिकार छिनता है, बल्कि सरकारी लाभ भी प्रभावित होते हैं. ऐसे मामलों में लोगों को यह समझ ही नहीं आता कि वे किससे मदद लें.

स्थानीय समाज सुधारक नदीम भाई का कहना है कि यह स्थिति बहुत ही दयनीय है. सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिए हैं कि वोटर सूची की पूरी जानकारी मतदान केंद्रों पर चस्पा की जाए ताकि लोग देख सकें कि उनका नाम सही है या नहीं. लेकिन ग्राउंड लेवल पर इसका पालन नहीं हो रहा. पंचायत भवनों और स्कूलों में मतदाता सूची नहीं लगी है, जिससे लोगों को अपनी स्थिति का पता नहीं चल पा रहा.

लोगों की मांग

इस पूरे मामले में लोगों की मुख्य मांग यह है कि उन्हें वोटर सूची में जिंदा घोषित किया जाए और उनके नाम सही किए जाएं. साथ ही जो सरकारी लाभ उन्हें मिलने चाहिए, वह भी पुनः जारी किए जाएं. वे यह चाहते हैं कि चुनाव आयोग और संबंधित अधिकारी सीधे उनके घर आकर समस्या का समाधान करें.

ग्राउंड रिपोर्ट से यह भी पता चला कि कई लोग, जिनका नाम काटा गया या मुर्दा घोषित किया गया, लगातार वोट देते आए हैं. उनके पास दस्तावेज हैं, वे जिंदा हैं, लेकिन कागज में उन्हें मृत दिखाया गया. इससे न केवल उनका वोट प्रभावित होता है, बल्कि उनका रोजमर्रा का जीवन भी प्रभावित होता है.

इस स्थिति में यह जरूरी है कि चुनाव आयोग फौरन इन लोगों को जिंदा घोषित करे, मतदाता सूची में नाम जोड़ें और सरकारी लाभ सुनिश्चित करें. तभी बहादुरपुर जैसे क्षेत्र में लोकतंत्र की भावना को बचाया जा सकता है और लोगों के अधिकार सुरक्षित रह सकते हैं.


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