बढ़ते प्रदूषण का असर अब सिर्फ सांस या एलर्जी तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यह दिल की बीमारियों का बड़ा कारण बनता जा रहा है. कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. तरुण कुमार के अनुसार, प्रदूषित हवा हार्ट अटैक के खतरे को बढ़ाती है, इसलिए सावधानी और बचाव बेहद जरूरी है.
दिल्ली-एनसीआर समेत उत्तर भारत में लगातार बढ़ता प्रदूषण अब लोगों के लिए गंभीर खतरा बनता जा रहा है. यह सिर्फ एलर्जी, अस्थमा या ब्रोंकाइटिस जैसी सांस की बीमारियों तक सीमित नहीं है, बल्कि अब इसका सीधा असर लोगों के दिल पर भी पड़ने लगा है. जाने-माने कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. तरुण कुमार के अनुसार, हवा में मौजूद जहरीले तत्व दिल की बीमारियों और अचानक हार्ट अटैक की आशंका को कई गुना बढ़ा देते हैं. इसलिए सावधानी और बचाव बेहद जरूरी है.
डॉ. तरुण बताते हैं कि प्रदूषण के दो प्रकार के असर देखे जाते हैं-
1. एक्यूट (तुरंत असर)- आंखों में जलन, गले में खराश, सूखी खांसी, सांस फूलना, अस्थमा का बढ़ना या एलर्जी जैसी समस्याएं.
2. क्रॉनिक (लंबे समय का असर)- लंबे समय तक प्रदूषित वातावरण में रहने से ब्लड प्रेशर अस्थिर हो जाता है, हार्ट रेट में उतार-चढ़ाव होता है और गंभीर मामलों में हार्ट अटैक या हार्ट फेलियर का खतरा बढ़ जाता है.
PM 2.5 कण सबसे बड़ा दुश्मन
आपको बता दें कि हवा में मौजूद PM 2.5 पार्टिकुलेट मैटर सबसे खतरनाक माना जाता है. यह इतने सूक्ष्म होते हैं कि सीधे फेफड़ों के भीतर जाकर रक्त प्रवाह में प्रवेश कर जाते हैं. इससे शरीर में ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस और इनफ्लेमेशन (सूजन) बढ़ जाता है, जिससे धमनियां सिकुड़ती हैं और एथेरोस्क्लेरोसिस (धमनियों में जमे वसा का खतरा) बढ़ जाता है. विशेषज्ञों के मुताबिक, जब भी PM 2.5 का स्तर 10% बढ़ता है, हार्ट अटैक का खतरा लगभग 8 से 18% तक बढ़ जाता है.
ठंड और प्रदूषण का ‘डबल अटैक’
दिवाली के बाद जब सर्दियां शुरू होती हैं, तो प्रदूषण और ठंड का दोहरा असर शरीर पर पड़ता है. ठंड में धमनियां सिकुड़ जाती हैं, जिससे ब्लड प्रेशर बढ़ने, शुगर अनकंट्रोल्ड होने और वजन बढ़ने की संभावना रहती है. ऐसे में हृदय रोगियों और डायबिटीज के मरीजों को खास सावधानी रखनी चाहिए.
डॉ. तरुण की सलाह- बचाव ही सबसे बड़ा इलाज
बाहर निकलते समय N95 मास्क जरूर पहनें.
सुबह के समय व्यायाम न करें जब एक्यूआई सबसे खराब होता है.
अपनी एक्टिविटी सामान्य रखें, बहुत ज्यादा मेहनत वाले एक्सरसाइज से बचें.
धूम्रपान न करें, शुगर और बीपी को नियंत्रण में रखें.
किसी भी तरह की छाती में भारीपन, पसीना, सांस फूलना या बाईं बांह में दर्द महसूस हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें.
प्रदूषण पर पूरी तरह नियंत्रण शायद हमारे हाथ में नहीं है, लेकिन अपने रिस्क फैक्टर को कंट्रोल करना पूरी तरह हमारे बस में है. संतुलित आहार, नियमित जांच और सावधानी अपनाकर आप खुद को काफी हद तक सुरक्षित रख सकते हैं.
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