मुंबई में भारी बारिश के बीच मोनोरेल अचानक बीच रास्ते में रुक गई. इस दौरान करीब 500 यात्री अंदर फंसे रह गए. घबराए यात्रियों को बाहर निकालने के लिए फायर ब्रिगेड की टीम मौके पर पहुंची और रेस्क्यू ऑपरेशन चलाकर सभी की जान बचाई.
मुंबई की बारिश ने मंगलवार (19 अगस्त) को शहर की रफ्तार थाम दी. रेल, बस और हवाई सेवाएं पहले से ही प्रभावित थीं और इस बीच शाम को एक बड़ी घटना ने सभी को डरा दिया. चेंबूर और भक्ति पार्क स्टेशन के बीच दौड़ रही मोनोरेल अचानक ट्रैक पर रुक गई. करीब 500 यात्री इस मोनोरेल में फंसे हुए थे.
ट्रेन रुकते ही बिजली सप्लाई बंद हो गई और डिब्बों का एसी ठप हो गया. अंदर अंधेरा और घुटन फैल गई. बच्चे और महिलाएं सबसे ज्यादा परेशान दिखे. कई लोगों का ब्लड प्रेशर बढ़ गया, तो किसी को चक्कर आने लगे. यात्रियों ने खिड़की का शीशा तोड़कर थोड़ी हवा अंदर आने दी, जिससे थोड़ी राहत मिली.
छह घंटे तक फंसे रहे यात्री
यात्रियों ने बताया कि ट्रेन पहले भी एक बार झटके से रुकी थी, लेकिन फिर चल पड़ी. कुछ दूरी तय करने के बाद यह दोबारा बीच ट्रैक पर थम गई और करीब पांच से छह घंटे तक लोग अंदर फंसे रहे. घबराहट और अफरातफरी का माहौल था. कई यात्री पहली बार मोनोरेल में सफर कर रहे थे और इस हादसे से उनका अनुभव डरावना बन गया.
फायर ब्रिगेड और बीएमसी का रेस्क्यू ऑपरेशन
इमरजेंसी कॉल मिलते ही बीएमसी और मुंबई फायर ब्रिगेड की टीमें मौके पर पहुंचीं. तीन स्नोकल व्हीकल लगाए गए और खिड़कियां काटकर यात्रियों को एक-एक कर बाहर निकाला गया. क्रेन की मदद से भी यात्रियों को सुरक्षित नीचे उतारा गया. महिलाओं और बुजुर्गों को प्राथमिकता दी गई. सभी यात्रियों को आखिरकार सुरक्षित निकाल लिया गया.
हादसे की वजहें
अधिकारियों के अनुसार, मोनोरेल रुकने की चार बड़ी वजहें सामने आईं-
तकनीकी खराबी
बिजली आपूर्ति का ठप होना
ओवरक्राउडिंग यानी क्षमता से ज्यादा भीड़
बारिश से पावर ब्रेकडाउन और इमरजेंसी ब्रेक लगना
आपको बता दें कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस घटना की जांच के आदेश दे दिए हैं. ऐसे में आने वाले दिनों में इसका पता चल जाएगा कि आखिर ऐसा क्यों हुआ?
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