जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले का चिशौती गांव 14 अगस्त की सुबह उस खौफनाक मंजर का गवाह बना, जिसे भूल पाना मुश्किल है. अचानक बादल फटने से आए सैलाब ने पूरे गांव को तबाह कर दिया. देखते ही देखते घर जमींदोज हो गए, लोग बह गए और हर तरफ चीख-पुकार मच गई. चार दिन बीत जाने के बाद भी यहां दर्द और तबाही का सिलसिला थमा नहीं है.
गांव के लोग बताते हैं कि हादसे के वक्त बच्चे 15 अगस्त की तैयारी कर रहे थे. कोई स्कूल में स्पीच की प्रैक्टिस कर रहा था तो कोई सांस्कृतिक कार्यक्रम में हिस्सा लेने गया था. लेकिन अचानक तेज बारिश और बादल फटने की खबर ने सबकुछ बदल दिया. कई परिवारों ने अपने बच्चों, माता-पिता और भाई-बहनों को इस तबाही में खो दिया. एक छात्रा ने रोते हुए बताया कि उसने अपनी मां और बहन को खो दिया है. "हम स्कूल में थे, तभी खबर मिली कि घर पर सब मलबे में दब गए," उसने कहा.
गांव का हर परिवार इस त्रासदी से प्रभावित हुआ है. किसी ने पिता खोया, किसी ने मां, तो किसी के बच्चे लापता हैं. गांव के अधिकतर घर या तो बह गए या मलबे में दब गए. जो लोग किसी तरह बच निकले, उनके पास अब न घर है, न खाने-पीने का सामान. लोग प्रशासन से सुरक्षित जगह और मदद की मांग कर रहे हैं.
राहत और बचाव कार्य जारी
एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, सेना और पुलिस लगातार बचाव कार्य में जुटी हुई है. युद्ध स्तर पर चल रहे इस अभियान में अब तक कई शव बरामद किए जा चुके हैं, लेकिन अभी भी 100 से ज्यादा लोग लापता बताए जा रहे हैं. दूर-दराज से लोग अपने लापता परिजनों की तलाश में गांव पहुंच रहे हैं. प्रशासन सीसीटीवी तस्वीरों और डॉग स्क्वाड की मदद से लापता लोगों को खोजने की कोशिश कर रहा है.
सबसे बड़ा हादसा उस जगह हुआ जहां गांव में लंगर चल रहा था. बादल फटने के समय वहां बड़ी संख्या में लोग खाना खा रहे थे. अचानक आया मलबा टेंट को बहा ले गया और दर्जनों लोग उसमें दब गए. अब तक वहां से कई शव निकाले जा चुके हैं और माना जा रहा है कि और भी लोग दबे हो सकते हैं.
मलबे में तब्दील हुआ गांव
गांव का निचला इलाका पूरी तरह तबाह हो गया है. कई घर पूरी तरह बह गए और लोग बेघर हो गए. बचाव टीमें मलबा हटाकर लगातार शवों और जीवित लोगों की तलाश कर रही हैं. लोग अब भी उम्मीद लगाए बैठे हैं कि शायद उनका कोई अपना जिंदा मिल जाए.
चिशौती की यह त्रासदी न केवल गांव वालों के लिए बल्कि पूरे देश के लिए एक दर्दनाक सबक है. यह हादसा दिखाता है कि प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए मजबूत व्यवस्था कितनी जरूरी है. यहां के लोगों के लिए यह जख्म ऐसा है जो शायद कभी भर नहीं पाएगा.
यह भी पढ़ें- Kishtwar Cloudburst: मलबे के नीचे दबे लोगों की तलाश में जुटी रेस्क्यू टीमें, खोदी जा रही जमीन
यह भी पढ़ें- Kishtwar Disaster: रेस्क्यू ऑपरेशन युद्ध स्तर पर जारी, अब तक 61 लोगों की मौत की पुष्टि