जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले के पाडर के चिशौती क्षेत्र में बादल फटने के बाद हालात बेहद भयावह बने हुए हैं. इस भीषण आपदा में अब तक 61 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है. सबसे ज्यादा नुकसान उस लंगर स्थल पर हुआ है, जहां हादसे के समय बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद थे. बताया जा रहा है कि करीब 200 से 250 लोग लंगर स्थल पर बैठे थे, जब बादल फटा और देखते ही देखते पूरा इलाका मलबे में तब्दील हो गया.
रेस्क्यू ऑपरेशन लगातार तीसरे दिन भी युद्ध स्तर पर जारी है. एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और एमआरटी की टीमें बिना रुके राहत और बचाव कार्य में लगी हुई हैं. अब तक केवल कल शाम से लेकर आज सुबह तक सात शव निकाले गए हैं, जिनमें एक बच्चा भी शामिल है. यह माना जा रहा है कि बड़ी संख्या में लोग अब भी मलबे के नीचे दबे हो सकते हैं.
बेहद चुनौतीपूर्ण है रेस्क्यू ऑपरेशन
आपको बता दें कि मौके पर जेसीबी और भारी मशीनरी की मदद से बड़े-बड़े बोल्डर्स हटाने का प्रयास किया जा रहा है. मलबे के नीचे से टेंट और अन्य सामान भी बरामद हुआ है, जिससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि लंगर स्थल पर बैठे श्रद्धालु दब गए होंगे.
रेस्क्यू टीमों के लिए सबसे बड़ी चुनौती मलबे और विशाल चट्टानों को हटाना है. तीन दिनों से लगातार काम करने के बावजूद राहत कार्य बेहद कठिन साबित हो रहा है. अधिकारी बता रहे हैं कि जब तक यात्रियों को सुरक्षित बाहर नहीं निकाला जाता और मलबे को नाले में शिफ्ट नहीं किया जाता, तब तक राहत कार्य में तेजी आना मुश्किल है.
परिजनों का दर्द भी यहां साफ दिखाई दे रहा है. बड़ी संख्या में लोग अपने लापता परिजनों की जानकारी लेने पहुंच रहे हैं और उनके शव मिलने की प्रतीक्षा कर रहे हैं. रेस्क्यू टीम पूरी कोशिश कर रही है कि जल्द से जल्द दबे हुए लोगों को निकाला जाए और प्रभावित परिवारों को राहत दी जा सके.
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