मथुरा में इन दिनों दो बड़े संतों के बीच विवाद चर्चा का विषय बना हुआ है. जगतगुरु रामभद्राचार्य द्वारा संत प्रेमानंद महाराज को लेकर की गई टिप्पणी ने ब्रजवासी और संत समाज में बहस छेड़ दी है. रामभद्राचार्य जी ने कहा कि प्रेमानंद महाराज उनके बताए संस्कृत श्लोक का अर्थ करके दिखाएं. इस पर लोग अलग-अलग राय दे रहे हैं.
रामभद्राचार्य की विद्वता पर संदेह नहीं
धर्माचार्यों का कहना है कि रामभद्राचार्य जी 22 भाषाओं के ज्ञाता हैं और जन्म से अंधे होने के बावजूद 80 से अधिक ग्रंथ लिख चुके हैं. उनकी विद्वता पर कोई सवाल नहीं उठाया जा सकता. दूसरी ओर प्रेमानंद महाराज को राधा जी का भक्त माना जाता है, जो भक्ति और नामजप से लोगों को जोड़ते हैं. दोनों संतों की अपनी-अपनी विशेषता है, इसलिए तुलना करना या टिप्पणी करना उचित नहीं माना जा रहा.
संत समाज में क्यों बढ़ रही तल्खी?
कई साधु-संतों ने कहा कि यह विवाद ऐसा है जैसे घर के दो बड़े भाई आपस में चर्चा कर रहे हों. छोटे लोगों को बीच में बोलने का कोई अधिकार नहीं. किसी ने उदाहरण देते हुए कहा कि यह वैसा ही है जैसे दो अलग-अलग विषयों के प्रोफेसर आपस में बहस कर रहे हों और छात्र बीच में दखल दें.
वहीं कुछ लोग रामभद्राचार्य पर आरोप लगा रहे हैं कि वे अहंकार में हैं और हमेशा दूसरों की बुराई करते हैं. उनका कहना है कि प्रेमानंद महाराज कभी माया-मोह में नहीं फंसे, न जमीन खरीदी, न वैभव जुटाया. जबकि रामभद्राचार्य पर करोड़ों की संपत्ति बनाने के आरोप लगाए गए. उनका कहना है कि ऐसे संतों को एक-दूसरे का सम्मान करना चाहिए.
रास बिहारी शरण महाराज का कहना है कि अगर कोई संत किसी दूसरे संत पर अनर्गल टिप्पणी करता है तो समाज को चुप नहीं रहना चाहिए. प्रेमानंद महाराज वर्षों से श्रीमद्भागवत, गीता और पुराणों पर प्रवचन कर रहे हैं, लोगों के जीवन में बदलाव ला रहे हैं. ऐसे में उनका अपमान उचित नहीं है.
लोगों की अपील - विवाद खत्म हो
कई धर्माचार्यों और ब्रजवासियों ने कहा कि सनातन धर्म की एकता बनाए रखने के लिए ऐसे विवादों से बचना जरूरी है. जगतगुरु हों या अन्य संत, सभी को अपनी गरिमा बनाए रखनी चाहिए. फिलहाल प्रेमानंद महाराज की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन लोगों का मानना है कि रामभद्राचार्य जी को माफी मांगनी चाहिए.
स्पष्ट है कि यह विवाद सिर्फ संत समाज तक सीमित नहीं रहा, बल्कि सोशल मीडिया और भक्तों के बीच भी चर्चा का विषय बन गया है. सभी चाहते हैं कि दोनों संतों के बीच सुलह हो और सनातन धर्म की मर्यादा बनी रहे.
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