India-China Relation: चीन संग दोस्ती का नया चैप्टर शुरु, सीमा विवाद के बाद पहली बार रिश्तों में सुधार

अमेरिका की टैरिफ नीति और कूटनीतिक कोशिशों के बीच भारत और चीन के रिश्तों में नई गर्मजोशी दिख रही है. सीमा विवाद के बाद पहली बार दोनों देशों में आर्थिक और रणनीतिक सहयोग के संकेत मिले हैं.

अमेरिका की टैरिफ नीति और कूटनीतिक कोशिशों के बीच भारत और चीन के रिश्तों में नई गर्मजोशी दिख रही है. सीमा विवाद के बाद पहली बार दोनों देशों में आर्थिक और रणनीतिक सहयोग के संकेत मिले हैं.

author-image
Deepak Kumar Singh
New Update

भारत और चीन के रिश्तों में लंबे समय से तनाव बना हुआ था, खासकर साल 2020 के सीमा विवाद के बाद. लेकिन अब हालात बदलते दिख रहे हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीति ने भारत और चीन को एक बार फिर करीब ला दिया है. दोनों देशों के रिश्तों पर जमी बर्फ पिघलती नजर आ रही है और व्यापार, कूटनीति व रणनीतिक सहयोग के क्षेत्र में नई संभावनाएं खुल रही हैं.

ट्रंप की नीतियों से बढ़ी नजदीकी

Advertisment

दरअसल, ट्रंप सरकार ने भारत पर अतिरिक्त टैरिफ लगाए थे, जिसका चीन ने खुलकर विरोध किया. बीजिंग ने साफ संकेत दिया कि वह भारत के साथ मिलकर आगे बढ़ना चाहता है. जानकारों के मुताबिक ट्रंप की नीतियों ने वर्ल्ड ऑर्डर में भूचाल ला दिया है. इसी बदलते माहौल में भारत और चीन को एक-दूसरे के करीब आने का मौका मिला.

कूटनीतिक प्रयासों का भी असर

हालांकि, केवल ट्रंप की नीतियों ने ही यह माहौल नहीं बनाया बल्कि लंबे समय से जारी कूटनीतिक कोशिशों ने भी बड़ी भूमिका निभाई. राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने दिसंबर 2024 और जून 2025 में चीन का दौरा किया था. इन दौरों के दौरान व्यापार और सुरक्षा पर अहम बातचीत हुई. इसके तुरंत बाद भारत ने चीन के साथ रिश्ते सुधारने के ठोस कदम उठाने शुरू किए.

उच्च स्तरीय मुलाकातों से संकेत

जुलाई 2025 में विदेश मंत्री एस. जयशंकर बीजिंग पहुंचे और पांच साल बाद अपने समकक्ष वांग यी से मुलाकात की. इसमें व्यापारिक रुकावटों और सप्लाई चेन की समस्याओं पर चर्चा हुई. चीन ने भारत को खाद और रियल अर्थ मेटल्स की सप्लाई का भरोसा देकर सकारात्मक संकेत दिए. इसके बाद अगस्त में चीन के विदेश मंत्री भारत आए और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की. इन बैठकों से साफ हो गया कि रिश्ते बेहतर करने की कोशिशें तेज हो चुकी हैं.

ठोस कदमों की शुरुआत

आपको बता दें कि दोनों देशों ने रिश्तों में सुधार के लिए कई कदम उठाए हैं. भारत और चीन के बीच सीधी फ्लाइट्स फिर से शुरू करने की तैयारी है. चीन ने भारत को यूरिया निर्यात पर लगी पाबंदी हटा दी है और भारत ने चीनी नागरिकों के लिए टूरिस्ट वीजा सेवाएं बहाल कर दी हैं. साथ ही व्यापारिक सहयोग को आगे बढ़ाने पर भी सहमति बनी है.

बड़ी आबादी और बड़ा प्रभाव

भारत दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश है, जबकि चीन दूसरे नंबर पर है. दोनों मिलकर दुनिया की करीब 35-40% आबादी का प्रतिनिधित्व करते हैं. ऐसे में इनका करीब आना वैश्विक राजनीति और अर्थव्यवस्था पर गहरा असर डाल सकता है. पश्चिमी देशों, खासकर अमेरिका के लिए यह एक बड़ा झटका साबित हो सकता है.

भरोसे पर सवाल बाकी

हालांकि रिश्तों में सुधार के संकेत मिल रहे हैं, लेकिन सवाल यह भी है कि क्या चीन वास्तव में भारत से रिश्ते सुधारना चाहता है या सिर्फ मौके का फायदा उठाने की रणनीति अपना रहा है. क्योंकि चीन की नीतियों पर पूरी तरह भरोसा करना आसान नहीं है. फिर भी, मौजूदा हालात में भारत-चीन की बढ़ती नजदीकी नए दौर की शुरुआत का संकेत दे रही है.


यह भी पढ़ें- SCO Summit 2025: चीन में आज से शुरू होगा दो दिवसीय एससीओ शिखर सम्मेलन, पीएम मोदी-जिनपिंग के बीच होगी बैठक


यह भी पढ़ें- SCO शिखर सम्मेलन से पहले पीएम मोदी और यूक्रेन के प्रेसिडेंट ज़ेलेंस्की की अहम बातचीत, जानें किन मुद्दों पर हुई चर्चा

Latest World News In Hindi World News Hindi india-china relationship India-China Relations India China Relation World News PM modi India-china relation after Modi
Advertisment