पंजाब में बाढ़ और भारी बारिश ने हालात बिगाड़ दिए हैं. आपको बता दें कि पूरे 23 जिले बाढ़ प्रभावित हैं. अब तक 30 लोगों की मौत हो चुकी है और करीब 3.5 लाख लोग प्रभावित हैं. राज्य सरकार राहत सामग्री पहुंचा रही है, लेकिन हालात अब भी काबू से बाहर हैं.
इस बार की बाढ़ को 1988 के बाद सबसे भीषण बाढ़ बताया जा रहा है. सतलुज, ब्यास और रावी नदियां उफान पर हैं. इसके कारण लगभग 3 लाख एकड़ फसल पूरी तरह बर्बाद हो चुकी है. किसानों के घर डूब गए हैं और जानमाल का भी भारी नुकसान हुआ है.
गांव और जिले जलमग्न
मिली जानकारी के मुताबिक, अभी तक 1300 से अधिक गांव पूरी तरह पानी में डूब चुके हैं. कपूरथला, अमृतसर और तरन-तारण समेत कई जिलों में घरों में पानी भर चुका है. लोग मजबूरी में अपने घर छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर जा रहे हैं. कई गांवों का संपर्क टूट चुका है क्योंकि सड़कें और पुल बह गए हैं.
बारिश का रिकॉर्ड
मौसम विभाग के अनुसार, इस बार सामान्य से ज्यादा बारिश हुई है.
जून में 180 मिमी बारिश हुई, जो सामान्य से 9% अधिक है.
जुलाई में 294.1 मिमी बारिश हुई, जो 5% ज्यादा रही.
अगस्त में 268.1 मिमी बारिश दर्ज हुई, जो सामान्य से 5.2% अधिक है.
लोगों की परेशानी
ग्रामीणों का कहना है कि फसलें पूरी तरह डूब चुकी हैं और घरों में रहना मुश्किल हो गया है. कई परिवारों को पलायन करना पड़ा. राहत सामग्री पहुंचाने में भी दिक्कत आ रही है क्योंकि रास्ते टूट चुके हैं. लोग सरकार से अपील कर रहे हैं कि खाने-पीने और रहने की सुविधा जल्द से जल्द उपलब्ध कराई जाए.
राहत कार्य में दिक्कतें
लगातार तीन दिनों से हो रही बारिश से बचाव कार्य और मुश्किल हो गया है. प्रशासन की टीमें राहत पहुंचाने की कोशिश कर रही हैं, लेकिन कई इलाकों तक पहुंचना संभव नहीं हो पा रहा. हालात ऐसे हैं कि लोगों को जीवनयापन और सुरक्षित ठिकाने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है.
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