दिल्ली में वायु प्रदूषण ने हालात खतरनाक बना दिए हैं. नई रिपोर्ट के अनुसार, साल 2023 में राजधानी में 1718 लोगों की मौत सीधे प्रदूषण से हुई. विशेषज्ञों ने इसे सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट बताते हुए तुरंत सख्त कदम उठाने की मांग की है.
देश की राजधानी दिल्ली की हवा एक बार फिर जानलेवा होती जा रही है. इंस्टिट्यूट फॉर हेल्थ मेट्रिक्स एंड इवैल्यूएशन की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2023 में दिल्ली में 1718 लोगों की मौतें सीधे तौर पर वायु प्रदूषण के कारण हुईं. यानी राजधानी में हर सात में से एक व्यक्ति की मौत का कारण जहरीली हवा बनी.
सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर की रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली में पिछले वर्ष हुई कुल मौतों में से करीब 15% मौतें केवल प्रदूषण की वजह से दर्ज की गईं. विशेषज्ञों का कहना है कि यह अब केवल पर्यावरण की समस्या नहीं रही, बल्कि यह एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट बन चुका है.
रिपोर्ट में हुआ बड़ा खुलासा
रिपोर्ट में बताया गया है कि हवा में मौजूद सूक्ष्म कण पीएम2.5 (PM2.5) सबसे खतरनाक साबित हो रहे हैं. ये इतने छोटे होते हैं कि फेफड़ों के अंदर तक पहुंच जाते हैं और धीरे-धीरे शरीर के अंगों को नुकसान पहुंचाते हैं. इससे दिल, फेफड़ों, दिमाग और बच्चों के विकास पर गंभीर असर पड़ता है.
चौंकाने वाली बात यह है कि अब प्रदूषण से होने वाली मौतें, हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज और मोटापे जैसी पुरानी बीमारियों से भी ज्यादा हो गई हैं. रिपोर्ट में बताया गया कि 2023 में हाई ब्लड प्रेशर से 14,874, डायबिटीज से 10,653 और मोटापे से 6,658 लोगों की मौत हुई, जबकि प्रदूषण से मौतों की संख्या तेजी से बढ़ी.
विशेषज्ञों ने दी चेतावनी
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मानकों के मुकाबले दिल्ली का पीएम2.5 स्तर कई गुना अधिक है. इसी वजह से अस्थमा, दिल के दौरे और स्ट्रोक के मरीज लगातार बढ़ रहे हैं. डॉक्टरों का कहना है कि दिल्ली के कुछ इलाकों की हालत अब ‘गैस चेंबर’ जैसी हो गई है.
विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि यदि तुरंत सख्त कदम नहीं उठाए गए तो आने वाले सालों में यह संकट और भी गंभीर हो जाएगा. सरकार को उद्योगों और वाहनों से निकलने वाले धुएं पर रोक लगानी होगी, हरियाली बढ़ानी होगी और वैज्ञानिक नीतियों पर अमल करना होगा. फिलहाल स्थिति इतनी खराब है कि दिल्ली के लोगों के लिए साफ हवा में सांस लेना भी मुश्किल हो गया है.
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