चीन और ताइवान के बीच तनाव लगातार बढ़ रहा है. ताइवान को लेकर चीन का रुख आक्रामक होता जा रहा है और विशेषज्ञों का मानना है कि अगर युद्ध शुरू हुआ तो यह पूरी दुनिया को प्रभावित कर सकता है.
ताइवान को लेकर चीन की आक्रामकता लगातार बढ़ती जा रही है. चीन की सेना ने ताइवान के आसपास युद्ध अभ्यास और निगरानी शुरू कर दी है. ताइवान के रडार पर चीनी जहाजों, फाइटर जेट और नौसेना के कई जहाज लगातार घूमते दिखे हैं. यह पहली बार हुआ जब चीन की सेना ने इतनी बड़ी संख्या में ताइवान के आसपास अपनी ताकत दिखाई. ताइवान की सुरक्षा पर खतरे के सायरन बजने लगे हैं.
इतिहास और राजनीति का कारण
आपको बता दें कि चीन ताइवान को अपना हिस्सा मानता है और ‘वन चाइना पॉलिसी’ के तहत उसे अपने नियंत्रण में लाना चाहता है. वहीं ताइवान खुद को आजाद देश बताता है, लेकिन उसने औपचारिक स्वतंत्रता की घोषणा नहीं की. चीन इसे अपनी कमजोरी मानता है. अब चीन राष्ट्रवाद को बढ़ावा देकर ताइवान पर कब्जा करने की योजना बना रहा है. 2027 में चीन की सेना के 100 साल पूरे होंगे, इसलिए वह बड़े कदम की तैयारी कर रहा है.
अमेरिका की भूमिका और सैन्य मदद
चीन के बढ़ते खतरे को देखते हुए अमेरिका ताइवान को सैन्य मदद दे रहा है. ताइवान को एडवांस एयर डिफेंस मिसाइल, एफ16 लड़ाकू विमान और हेल फायर एंटी टैंक मिसाइल जैसे शक्तिशाली हथियार मिल रहे हैं. ये हथियार ताइवान की रक्षा में मदद कर सकते हैं. अमेरिका की यह मदद ताइवान को चीन के हमलों से बचाने का मुख्य आधार है.
समुद्र और जमीन पर युद्ध की तैयारी
चीन ने ताइवान के आसपास समुद्र में टैंक बोट्स और जमीन पर युद्ध टैंक तैनात किए हैं. ये हथियार दुश्मन पर तेज हमला कर सकते हैं. चीन छोटे-छोटे हमलों से ताइवान को कमजोर करना चाहता है. दूसरी तरफ ताइवान ने अपनी सुरक्षा बढ़ाने के लिए अर्बन वॉरफेयर की तैयारी शुरू कर दी है.
सेमीकंडक्टर पर नियंत्रण की होड़
ताइवान दुनिया में सेमीकंडक्टर चिप्स का सबसे बड़ा उत्पादक है. बिना इन चिप्स के स्मार्टफोन, कंप्यूटर, अस्पताल की मशीनें तक नहीं चल सकतीं. चीन ताइवान पर कब्जा कर इस मार्केट पर नियंत्रण करना चाहता है. लेकिन ऐसा हुआ तो पूरी दुनिया आर्थिक संकट में फंस सकती है.
अगर चीन ने हमला किया तो यह महायुद्ध का रूप ले सकता है. ताइवान की सुरक्षा और दुनिया की अर्थव्यवस्था दोनों खतरे में पड़ जाएंगी. इसलिए यह मामला सिर्फ एक देश की लड़ाई नहीं बल्कि पूरी दुनिया की चिंता बन चुका है.
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