Chhath Puja 2025: प्रेग्नेंसी में छठ व्रत रखना सही है या नहीं? जानिए क्या कहते हैं डॉक्टर और क्या बरतें सावधानी

छठ पूजा आस्था और अनुशासन का पर्व है, लेकिन गर्भवती महिलाओं के लिए यह व्रत रखना चुनौतीपूर्ण हो सकता है. डॉक्टरों का कहना है कि प्रेगनेंसी में निर्जला उपवास स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है.

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Deepak Kumar
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छठ पूजा आस्था और अनुशासन का पर्व है, लेकिन गर्भवती महिलाओं के लिए यह व्रत रखना चुनौतीपूर्ण हो सकता है. डॉक्टरों का कहना है कि प्रेगनेंसी में निर्जला उपवास स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है.

छठ पूजा उत्तर भारत का एक अत्यंत महत्वपूर्ण और आस्था से जुड़ा त्योहार है. यह पर्व कार्तिक शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से शुरू होकर चार दिनों तक चलता है. इस दौरान श्रद्धालु सूर्य देव और छठ मैया की पूजा करते हैं तथा जीवन में सुख, समृद्धि और संतान की मंगल कामना करते हैं.

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बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड और पूर्वी भारत के कई हिस्सों में यह त्योहार बड़े श्रद्धा और नियमों से मनाया जाता है. छठ व्रत को सबसे कठिन व्रतों में गिना जाता है क्योंकि इसमें लगभग 36 घंटे का निर्जला उपवास रखा जाता है- यानी न भोजन और न पानी. व्रती महिलाएं संध्या और उषा अर्घ्य के समय जल में खड़े होकर सूर्यदेव को अर्पण करती हैं. लेकिन सवाल उठता है कि क्या गर्भवती महिलाएं यह व्रत रख सकती हैं? आइए जानते हैं इस बारे में.

क्या प्रेगनेंसी में निर्जला व्रत रखना सुरक्षित है?

डॉक्टरों और स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, गर्भावस्था के दौरान निर्जला उपवास रखना शारीरिक रूप से जोखिम भरा हो सकता है. गर्भवती महिला के शरीर को निरंतर पोषण, तरल पदार्थ और ऊर्जा की आवश्यकता होती है. लंबे समय तक उपवास रखने से डिहाइड्रेशन, लो ब्लड प्रेशर, कमजोरी, चक्कर आना और बच्चे के विकास पर असर पड़ सकता है. इसलिए गर्भवती महिलाओं को यह व्रत पारंपरिक तरीके से नहीं रखना चाहिए.

अगर रखना चाहें तो बरतें ये सावधानियां

अगर कोई गर्भवती महिला अपनी आस्था के चलते छठ व्रत करना चाहती हैं, तो इसे संशोधित तरीके से कर सकती हैं.

  • सबसे पहले अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लें.

  • निर्जला रहने की जगह फलाहार या हल्का तरल आहार ले सकती हैं, जैसे नारियल पानी, दूध, साबूदाना या फल.

  • पूजा के समय लंबे समय तक पानी में खड़े न रहें, क्योंकि इससे पैरों में सूजन और थकान हो सकती है.

परिवारजन पूजा की तैयारियों और प्रसाद बनाने में मदद करें ताकि महिला को अधिक श्रम न करना पड़े.

आस्था के साथ स्वास्थ्य भी जरूरी

छठ केवल उपवास का पर्व नहीं, बल्कि श्रद्धा और मन की शक्ति का प्रतीक है. अगर आप पूरी तरह व्रत नहीं रख सकतीं, तो भी मन से छठ मैया की आराधना कर सकती हैं. असली भक्ति यही है कि आप अपनी और अपने बच्चे की सेहत का ध्यान रखते हुए पूजा करें, क्योंकि मां और जीवन दोनों की सुरक्षा ही सच्ची पूजा है.

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