Chhath Puja 2025: आखिर क्यों मनाया जाता है छठ पूजा का पर्व और कैसे शुरू हुई इसकी परंपरा? जानिए इतिहास

Chhath Puja 2025: छठ पर्व सूर्य देव की पूजा का पर्व है, जो जीवन में ऊर्जा और प्रकाश लाते हैं. यह पर्व सूर्य देव और मैया को समर्पित है, तो आइए जानें छठ पूजा में सूर्य देव और छठी मैया का क्या है रिश्ता.

Chhath Puja 2025: छठ पर्व सूर्य देव की पूजा का पर्व है, जो जीवन में ऊर्जा और प्रकाश लाते हैं. यह पर्व सूर्य देव और मैया को समर्पित है, तो आइए जानें छठ पूजा में सूर्य देव और छठी मैया का क्या है रिश्ता.

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Akansha Thakur
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Chhat Puja 2025

Chhath Puja 2025

Chhath Puja 2025: हिंदू धर्म में छठ पूजा सबसे पवित्र त्योहार माना जाता है जो सूर्य देव और छठी मैया को समर्पित होता है. यह त्योहार प्रकृति, जल और सूर्य की आराधना का प्रतीक है. छठ पूजा का संबंध खासतौर पर बिहार राज्य में मनाया जाता है जहां से इसकी शुरुआत हजारों साल पहले हुई थी. यह त्योहार आज न सिर्फ बिहार बल्कि उत्तर प्रदेश, झारखंड और नेपाल के कई हिस्सों में बड़ी श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है. यह पर्व मनुष्य और प्रकृति के बीच आभार की भावना को दर्शाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि छठ पूजा का पर्व क्यों मनाया जाता है और कैसे शुरू हुई इसकी परंपरा? चलिए हम आपको बताते हैं इसके बारे में. 

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छठ का इतिहास (Chhath Puja 2025) 

छठ पूजा का इतिहास वैदिल कास से जुड़ा हुआ है. प्राचीन ग्रंथों में सूर्य उपासना का वर्णन मिलता है जहां ऋषि-मुनि मानसिक और शारीरिक शुद्धि के लिए सूर्य देव की आराधना करते थे. माना जाता है कि कर्ण जो सूर्य देव और कुंती के पूत्र थे सबसे पहले छठ पूजा करने वाले व्यक्ति थे. वे रोज नदी में खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य देते थे. इसके अलावा महाभारत में भी उल्लेख मिलता है कि द्रौपदी और पांडवों ने अपने संकट के समय सूर्य भगवान की पूजा की थी. इन कथाओं से यह साबित होता है कि छठ पूजा केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं बल्कि आत्मशुद्धि का प्रतीक है. 

क्यों मनाया जाता है छठ पर्व?

छठ पर्व मनाने का मुख्य उद्देश्य सूर्य  देव और छठी मैया की कृपा प्राप्त करना है. यह पर्व न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है बल्कि जीवन में स्वास्थ्य, समृद्धि और सुख-शांति लाने का भी तरीका माना जाता है. व्रत जो अधिकतर महिलाएं करती है इस दौरान  निर्जला व्रत रखती हैं और  सूर्य देव को अर्घ्य देती हैं. इसके साथ ही वे अपने परिवार की खुशहाली, अपने बच्चों की लंबी उम्र और अपने स्वास्थ्य के लिए प्रार्थना करती है. इस पर्व  को करने से शरीर और मन की शुद्धि होती है. व्रत और पूजा के दौरान अनुशासन, और आत्म निरीक्षण की भावना पैदा होती है. इसके अलावा छठ पर्व परिवार और समाज में आपसी प्रेम और विश्वास को भी मजबूत करता है. 

कैसे शुरु हुई छठ पर्व की परंपरा? 

छठ पूजा की सबसे गहरी जड़े बिहार राज्य में पाई जाती हैं. बिहार को इस त्योहार की जन्मभूमि  माना जाता है क्योंकि यहां की नदियां जैसे  गंगा और सोन जल सूर्य उपासना के लिए उपयुक्त स्थान प्रदान करती हैं. बिहार की धरती हमेशा से भक्ति का केंद्र रही है. यहां के लोग प्रकृति को जीवनदाता मानते हैं इसलिए सूर्य और जल के प्रति आभार प्रकट करने की परंपरा यहीं से शुरू हुई थी. छठ शब्द का अर्थ होता है छठा दिन क्योंकि यह त्योहार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है. धीरे-धीरे यह परंपरा बिहार से निकलकर विदेशों तक फैल गई.  

छठी मैया और सूर्य देव का संबंध (Chhath Puja 2025) 

ऐसी मान्यता है कि छठी मैया और सूर्य देव के बीच जो रिश्ता है वो भाई-बहन का है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार छठी मैया भगवान सूर्य की बहन हैं और उन्हीं के सम्मान में छठ पूजा की जाती है. इस  पूजा में भक्त सूर्य देव  को अर्घ्य देकर और छठी मैया की पूजा करके उनसे घर की सुख-शांति और संतान की दीर्घायु के लिए आशीर्वाद मांगती है. 

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