बिहार चुनाव से पहले एक बड़ा सर्वे सामने आया है. इसमें इंडिया गठबंधन की लोकप्रियता बढ़ती दिख रही है, जबकि एनडीए की टेंशन बढ़ सकती है. लोग बदलाव की ओर झुकते नजर आ रहे हैं.
बिहार में चुनाव की तारीखें घोषित होने से पहले एक बड़ा सर्वे सामने आया है. यह सर्वे वोट वाइब (Vote Vibe) ने 3 से 10 सितंबर के बीच किया. इसमें कुल 5635 लोगों से बातचीत की गई. सर्वे में पुरुषों की संख्या 52% और महिलाओं की 48% रही. इसमें 70% ग्रामीण और 30% शहरी इलाकों से लोग शामिल थे. जाति और समुदाय के आधार पर भी अलग-अलग वर्गों से राय ली गई. यह सर्वे इसलिए खास है क्योंकि हाल ही में राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की वोटर अधिकार यात्रा बिहार में हुई थी, जिससे चुनावी माहौल गरमा गया है.
जनता क्या सोचती है?
आपको बता दें, सर्वे में पूछा गया कि क्या लोग मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और एनडीए सरकार से खुश हैं या नहीं. नतीजों में सामने आया कि 48% लोग सरकार से नाखुश हैं, जबकि 27% लोग समर्थन में हैं. 20% लोग न्यूट्रल रहे और 4% ने कहा कि उन्हें पता नहीं. यह आंकड़े बताते हैं कि सत्ता विरोधी लहर तेज हो रही है. खास बात यह है कि यह नाराजगी शहरी और ग्रामीण दोनों इलाकों में बराबर देखने को मिली. ग्रामीण क्षेत्रों में 48% लोग सरकार से नाराज हैं, जबकि समर्थन करने वाले सिर्फ 25% हैं. शहरी इलाकों में भी 48% लोगों ने सरकार के खिलाफ आवाज उठाई.
पुरुष और महिलाओं की राय
सर्वे में पुरुषों और महिलाओं की राय लगभग समान रही. दोनों में 48% लोग सरकार से असंतुष्ट हैं. न्यूट्रल रहने वालों में पुरुष 20% और महिलाएं 22% हैं. समर्थन देने वालों में 29% पुरुष और 25% महिलाएं हैं. जबकि 4% पुरुष और 5% महिलाएं यह नहीं बता पाईं कि वे किस पक्ष में हैं.
युवाओं और ग्रामीणों की नाराजगी बढ़ी
सर्वे में यह भी सामने आया कि 18 से 34 साल के युवाओं में 55% लोग सरकार से नाराज हैं. इसका मतलब यह है कि युवाओं का झुकाव बदलाव की तरफ है. ग्रामीण इलाकों में बिजली, पानी, सड़क और स्वास्थ्य जैसी सुविधाओं को लेकर नाराजगी ज्यादा है. इससे सरकार की योजनाओं का असर कम दिख रहा है.
क्या नीतीश कुमार का असर कम हो रहा है?
सर्वे में साफ संकेत मिले हैं कि नीतीश कुमार की लोकप्रियता घट रही है. हालांकि यह नहीं कहा जा सकता कि इसका सीधा फायदा कांग्रेस या आरजेडी को मिलेगा, लेकिन बदलाव की मांग जरूर बढ़ रही है. खासतौर पर युवा, महिलाएं और ग्रामीण वोटर अब विकल्प तलाश रहे हैं. अगर ये नाराज मतदाता एकजुट हुए तो एनडीए के लिए बड़ी चुनौती खड़ी हो सकती है. चुनाव से पहले ये आंकड़े राजनीतिक दलों के लिए एक बड़ा संकेत हैं.
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