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यूपी चुनाव: पहले चरण के मतदान में क्या होगा अहम, मुद्दा या जातीय समीकरण

पहले चरण में कुल 2, 60,17,128 मतदाता वोट डालेंगे।

Updated on: 11 Feb 2017, 10:46 AM

highlights

  • 73 सीटों पर है चुनाव, अपराध, किसान, सांप्रदायिक मुद्दे रहे अहम
  • पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बसपा की सियासी जमीन खासा मजबूत रही है
  • रालोद के लिए भी यह चरण अहम है, क्योंकि उसने कांग्रेस के गठबंधन के बाद 2012 के चुनाव में जो कुल नौ सीटें जीती हैं, वे इसी क्षेत्र में हैं।

नई दिल्ली:

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के पहले चरण का मतदान शुरू हो गया है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 15 जिलों की 73 विधानसभा सीटों पर मतदान जारी है। इस चरण में 2,60,17,128 मतदाता अपने मताधिकार का उपयोग कर रहे हैं। पहले चरण में 839 प्रत्याशियों की किस्मत ईवीएम मशीनों में कैद हो जाएगी। पहले चरण में कुल 2, 60,17,128 मतदाता वोट डालेंगे। इसमें 1,42,76,128 पुरुष और 1,17,76,308 महिलाएं शामिल हैं। मतदान के लिए 14,514 मतदान केंद्र बनाए गए हैं।

चुनावी मुद्दे

पश्चिमी उत्तर प्रदेश में यूं तो कई मुद्दे हैं। मसलन महिलाओं के प्रति अपराधों का आंकड़ा यहां पूरे प्रदेश में सबसे ज्यादा है, तो सांप्रदायिक दंगों का दंश भी पश्चिमी उत्तर प्रदेश ने ही सबसे ज्यादा झेला है।

मुजफ्फरनगर दंगे ने यूपी की सियासत का रुख पलट दिया था और 2014 में मोदी लहर के बूते केंद्र में बीजेपी की सरकार बनी थी। दंगों को लेकर हुई सियासत को आज भी यहां ताजा रखने की कवायद चल रही है। इसी क्रम में बीजेपी नेता सुरेश राणा ने एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए कहा कि जीते तो कैराना-देवबंद में कर्फ्यू लगा देंगे।

पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बीजेपी के लिए प्रचार खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने किया। वहीं कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी, समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव, बीएसपी अध्यक्ष मायवती और आरएलडी नेता अजीत सिंह और जयंत चौधरी ने भी अपने-अपने उम्मीदवारों के लिए वोट की अपील की।

समाजवादी पार्टी ने अपने पांच साल के कामों को गिनाया तो वहीं। विपक्षी दलों ने सांप्रदायिक दंगे, कानून-व्यवस्था, महिला सुरक्षा, किसानों के मुद्दे पर सरकार को घेरा। लेकिन सभी दलों की नजर में जातिगत समीकरण पर ही थी।

जातिगत समीकरण

पश्चिमी उत्तर प्रदेश में करीब 21 फीसदी दलित, 20 फीसदी मुस्लिम, 17 फीसदी जाट और 13 फीसदी यादव हैं। ब्राह्मण और ठाकुर वोट करीब 28 फीसदी है। जाट पर अजीत सिंह की अच्छी पकड़ मानी जाती है। जबकि मायावती दलित-मुस्लिम समीकरण साधने की कोशिश कर रही हैं। हालांकि पिछले लोकसभा चुनाव में जाट समेत अन्य जातियों ने बीजेपी को वोट किया था। लेकिन विधानसभा चुनाव में बड़ा बदलाव हो सकता है।

राजनीतिक हमले
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मेरठ में जनसभा को संबोधित करते हुए स्कैम का नया परीभाषा गढ़ी। एस से सपा, सी से कांग्रेस, ए से अखिलेश और एम से मायावती कहा। वहीं सपा-कांग्रेस गठबंधन ने भी इसके जवाब में नये परीभाषा के साथ पलटवार किया। अखिलेश यादव ने कहा कि सेव दी कंट्री फ्रॉम अमित शाह एंड मोदी (SCAM)

वहीं मायावती ने सांप्रदायिक दंगे, कानून व्यवस्था, रोजगार और किसानों के मुद्दे को प्रमुखता से उठाया। मायावती ने अपने चुनाव प्रचार के दौरान नोटबंदी, दंगे को लेकर बीजेपी को आड़े हाथों लिया। पीएम मोदी ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गन्ना किसानों का मुद्दा उठाया था।

पिछले चुनाव का हाल

पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बसपा की सियासी जमीन खासा मजबूत रही है, लेकिन 2012 के चुनाव में यहां समाजवादी पार्टी ने भी अपने पंख फैलाए हैं। 2012 में दोनों ही पार्टियों को इन 73 सीटों में से 24-24 सीटें हासिल हुईं थीं, जबकि सपा 2007 में केवल पांच सीटों पर ही सिमट गई थी।

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इससे पूर्व 2007 में यहां बसपा ने ढाई दर्जन से भी ज्यादा सीटें हासिल की थीं और उप्र में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई थी। इस बार भी बसपा सुप्रीमो मायावती ने उप्र में ज्यादातर सीटें मुस्लिम समुदाय को दी हैं। मायावती ने हमेशा यह बात दोहराई है कि मुसलमानों के लिए सबसे भरोसेमंद पार्टी बसपा ही है।

रालोद के लिए भी यह चरण अहम है, क्योंकि उसने कांग्रेस के गठबंधन के बाद 2012 के चुनाव में जो कुल नौ सीटें जीती हैं, वे इसी क्षेत्र में हैं।

इतने हैं वोटर

पहले चरण के लिए अधिसूचना 17 जनवरी को जारी हुई थी, जबकि प्रत्याशियों ने 24 जनवरी तक अपना नामांकन किया था। नामांकन पत्रों की जांच 25 जनवरी तक पूरी हुई थी।73 सीटों के लिए कुल 2.57 करोड़ वोटर हैं। जिनमें 1.17 करोड़ महिलाएं है। युवा वर्ग में 18 से 19 साल के बीच के मतदाताओं की संख्या भी 24 लाख से ऊपर है।

यूपी विधानसभा के 403 सीटों के लिए 8 मार्च तक सात चरणों में चुनाव हो रहे हैं। कांग्रेस-सपा गठबंधन, बीजेपी और बीएसपी के बीच मुख्य मुकाबला है। 2012 के विधानसभा चुनावों में समाजवादी पार्टी ने 224 सीट जीतकर पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई थी। पिछले चुनावों में बसपा को 80, बीजेपी को 47, कांग्रेस को 28, रालोद को 9 और अन्य को 24 सीटें मिलीं थीं।

इन-इन सीटों पर डाले जाएंगे वोट

चुनाव आयोग के मुताबिक, पहले चरण में शामली जिले की कैराना, थाना भवन, शामली मुजफ्फरनगर की बुढ़ाना, चरथावल, पुरकाजी, मुजफ्फरनगर, खतौली, मीरापुर विधानसभा सीटों पर मतदान होगा।

इसके अलावा बागपत जिले की छपरौली, बड़ौत व मेरठ जिले की सिवालखास, सरधना, हस्तिनापुर, किठोर, मेरठ कैंट, मेरठ, मेरठ साउथ विधानसभा सीटों पर भी मतदान होगा।

गाजियाबाद की लोनी, मुरादनगर, साहिबाबाद, गाजियाबाद, मोदी नगर व गौतमबुद्धनगर की नोएडा, दादरी, जेवर विधानसभा सीट पर भी पहले चरण के तहत ही मतदान होगा।

इसके साथ ही, हापुड़ की धौलाना, हापुड़, गढ़मुक्तेश्वर, बुलंदशहर की सिकंदराबाद, स्याना, अनूपशहर, देबाई, शिकारपुर, खुर्जा के साथ ही अलीगढ़ जिले की खैर, बरौली, अतरौली, छर्रा, कोइल, अलीगढ़, इगलास विधानसभा सीटों पर भी पहले चरण का मतदान होगा।

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मथुरा जिले की छाता, मांट, गोवर्धन, मथुरा, बलदेव व हाथरस जिले की हाथरस, सादाबाद, सिकंदर राव व आगरा जिले की एतमादपुर, आगरा कैंट, आगरा साउथ, आगरा नॉर्थ, आगरा ग्रामीण, फतेहपुर सीकरी, खेरागढ़, फतेहाबाद, बाह सीटों पर मतदान होगा।

फिरोजाबाद की टूंडला, जसराना, फिरोजाबाद, शिकोहाबाद, सिरसागंज व एटा जिले की अलीगंज, एटा, मरहरा, जलेसर कासगंज जिले की कासगंज, अमनपुर, पटियाली सीट पर पहले चरण के दौरान मतदान होगा।

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(इनपुट IANS से भी)