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health insurance claim: आखिर ज्यादातर हेल्थ इंश्योरेंस क्यों हो जाते हैं रिजेक्ट? IRDAI की रिपोर्ट से मचा तहलका Photograph: (social media )
health insurance claim: इंश्योरेंस रेगुलेटर एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी ऑफ इंडिया की रिपोर्ट ने हेल्थ इंश्योरेंस के बारे में चौंकाने वाला खुलासा किया है. रिपोर्ट में खुलासा हुआ है 71 फीसदी हेल्थ इंश्योरेंस क्लेम सेटल हुए हैं, बाकी के 29 फीसदी रिजेक्ट हो गए. आखिर इसके मायने क्या हैं?
भारत में बहुत से कंपनियां हेल्थ इंश्योरेंस, लोगों को प्रोवाइड कराती हैं जिसका अलग-अलग प्लान होता है. हेल्थ इंश्योरेंस के बाद कई हॉस्पिटल कैशलेस इलाज की सुविधा ले सकते हैं. इंश्योरेंस कंपनी का जिस अस्पताल में टाई अप होता है आमतौर पर वहां कैशलेस इलाज की सुविधा मिल जाती है.
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29 फीसदी क्लेम हो गए रिजेक्ट
अब इसमें बड़ा पेंच तब फंसता है जब कैशलेस इलाज नहीं मिलता और हेल्थ इंश्योरेंस होने के बावजूद आपको अपना पैसा लगाकर इलाज कराना होता है. बाद में आप मेडिकल रीइंबर्समेंट लेकर पैसा वापस लेते हैं. इसी मामले में इंश्योरेंस रेगुलेटर एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (IRDAI) ने साल 2024 में इंश्योरेंस को लेकर डाटा जारी करते हुए बताया कि इस साल सिर्फ 71 फीसदी हेल्थ इंश्योरेंस के क्लेम ही सेटल हुए हैं. बाकी के सारे क्लेम रिजेक्ट कर दिए गए हैं.
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हेल्थ इंश्योरेंस क्लेम रिजेक्ट होने का बड़ा कारण
इस मामले में बता दें कि हेल्थ इंश्योरेंस क्लेम रिजेक्ट के कई कारण हो सकते हैं लेकिन सबसे बड़ा कारण होता है पॉलिसी में बताए गए खर्चों की लिमिट से ज्यादा खर्च करना. इस मामले में क्लेम रिजेक्ट हो जाता है.वहीं, अगर कोई बीमारी जो पॉलिसी में कवर नहीं है और उसका क्लेम किया जाता है तो वह भी रिजेक्ट हो जाता है. अगर आपने फर्जी डॉक्यूमेंट लगाकर क्लेम लगाने की कोशिश की तो वह भी रिजेक्ट ही होता है . IRDAI की ओर से जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक, साल 2024 में 3 करोड़ क्लेम किए गए जिनमें से 2 करोड़ 70 लाख क्लेम ही सेटल हुए. इस मामले में ओम्बड्समैन को क्लेम के मामले में 34 हजार से ज्यादा शिकायतें भी मिली हैं.