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SBI की इस सुविधा के जरिए बैंक अकाउंट में जमा राशि से ज्यादा निकाल सकते हैं पैसा

SBI Latest News: जानकारी के मुताबिक कोई भी बैंक या नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनी (NBFC) के जरिए ओवरड्राफ्ट की सुविधा को लिया जा सकता है. वहीं बैंक या NBFC ग्राहक को मिलने ओवरड्राफ्ट की सीमा को तय करते हैं.

Updated on: 09 Mar 2021, 01:54 PM

highlights

  • कोई भी बैंक या नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनी के जरिए ओवरड्राफ्ट की सुविधा को लिया जा सकता है
  •  ग्राहकों को इस सुविधा को लेने के लिए लिखित में या इंटरनेट बैंकिंग के जरिए आवेदन करना होता है

नई दिल्ली:

SBI Latest News: अगर आप भारतीय स्टेट बैंक (State Bank Of India) के ग्राहक हैं तो आप अपने बैंक अकाउंट (Bank Account) में जमा राशि से ज्यादा पैसे निकाल सकते हैं. एसबीआई की ओवरड्राफ्ट फैसिलिटी (Overdraft Facility) के जरिए ग्राहक ऐसा कर सकते हैं. आज की इस रिपोर्ट में हम ओवरड्रॉफ्ट सुविधा क्या है और इसके जरिए कैसे फायदा उठाया जा सकता है. इसके बारे में जानने की कोशिश करते हैं. बता दें कि ओवरड्राफ्ट फैसिलिटी एक तरह का कर्ज ही होता है और ग्राहक इस सुविधा का उपयोग करके बैंक खाते में जमा बैलेंस से ज्यादा पैसे निकाल सकते हैं. हालांकि इस रकम को एक निश्चित अवधि के भीतर चुकाना होता है और उस पर ब्याज भी लगाया जाता है. निकाली गई रकम के ऊपर रोजाना के आधार पर ब्याज की गणना की जाती है.

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बैंक या NBFC के जरिए ली जा सकती है ओवरड्राफ्ट की सुविधा
जानकारी के मुताबिक कोई भी बैंक या नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनी (NBFC) के जरिए ओवरड्राफ्ट की सुविधा को लिया जा सकता है. वहीं बैंक या NBFC ग्राहक को मिलने ओवरड्राफ्ट की सीमा को तय करते हैं. बैंक की ओर कुछ ग्राहकों को प्रीअप्रूव्ड ओवरड्राफ्ट की सुविधा भी दी जाती है. दूसरी ओर कुछ ग्राहकों को इसके लिए अलग से मंजूरी लेनी होती है. ग्राहकों को इस सुविधा को लेने के लिए लिखित में या इंटरनेट बैंकिंग के जरिए आवेदन करना होता है. जानकारी के मुताबिक मौजूदा समय में कुछ बैंक ओवरड्राफ्ट सुविधा के लिए प्रोसेसिंग फीस भी वसूलते हैं. बता दें कि ओवरड्राफ्ट दो तरह के होते हैं पहला सिक्योर्ड और दूसरा अनसिक्योर्ड. सिक्योर्ड ओवरड्राफ्ट के अंतर्गत सिक्योरिटी के तौर पर कुछ गिरवी रखा जाता है.

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कोई भी व्यक्ति घर, सैलरी, FD, शेयर, इंश्योरेंस पॉलिसी, बॉन्ड्स आदि पर ओवरड्राफ्ट की सुविधा हासिल कर सकता है. आसान भाषा कहें तो इसे फिक्स्ड डिपॉजिट या शेयर के ऊपर कर्ज लेना भी कह सकते हैं. यहां यह ध्यान देने वाली बात है कि ग्राहक के द्वारा गिरवी रखी गई चीजों के जरिए इसकी भरपाई की जाती है. तय अवधि से पहले कर्ज को चुकाने पर प्रीपेमेंट चार्ज चुकाना पड़ता है.