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देश में विकसित सेक्स सोर्टेड सीमेन का होगा 2021 से व्यावसायिक उपयोग

मित्रा ने कहा कि छंटाई कर बनाई गई शुक्राणुओं की खुराक जनवरी 2021 से देश में व्यावसायिक उपयोग के लिए उपलब्ध होगी और किसानों की आय दोगुना करने में इसका महत्वपूर्ण योगदान होगा. 

Updated on: 08 Nov 2020, 07:12 PM

नई दिल्ली:

राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) की सहायक कंपनी एनडीडीबी डेयरी सर्विसेज ने रविवार को कहा स्वदेशी तकनीक से तैयार सेक्स सोर्टेड सीमेन देश में अगले साल जनवरी से इस्तेमाल के लिए व्यासायिक तौर पर उपलब्ध होगा. एनडीडीबी डेयरी सर्विसेज के मैनेजिंग डायरेक्टर सौगत मित्रा ने एक बयान में कहा, "स्वदेशी तकनीक से विकसित सेक्स सोर्टेड सीमेन (छंटाई किए गए शुक्राणुओं) के उपयोग से कृत्रिम गर्भाधान की मौजूदा लागत में 1,000 रुपये की कमी आएगी और यह देश में बेकार मवेशियों की समस्या को हल करने में उपयोगी साबित होगी."

मित्रा ने कहा कि छंटाई कर बनाई गई शुक्राणुओं की खुराक जनवरी 2021 से देश में व्यावसायिक उपयोग के लिए उपलब्ध होगी और किसानों की आय दोगुना करने में इसका महत्वपूर्ण योगदान होगा. कंपनी ने बताया कि स्वदेश में विकसित इस तकनीक से मवेशियों के शुक्राणुओं की छंटनी द्वारा सिर्फ मादा बछड़े के जन्म को सुनिश्चित किया जा सकता है और यह तकनीक भारत को 'आत्मनिर्भर' बनाने की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम है.

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बयान में कहा गया कि एनडीडीबी डेयरी सर्विसेज द्वारा किए गए फील्ड ट्रायल के परिणाम वास्तविक परिस्थितियों में उत्पाद के प्रदर्शन को सुनिश्चित करते हैं. अक्टूबर 2020 में चेन्नई के नजदीक एक फार्म मे इसी तकनीक के द्वारा मादा बछड़े का जन्म हुआ, जिसके लिए शुक्राणुओं की छंटाई अलमाधी सीमेन स्टेशन में की गई थी.

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एनडीडीबी के चेयरमैन दिलीप रथ ने बताया, "एनडीडीबी डेयरी सर्विसेज ने शुक्राणुओं की छंटनी कर बनाई गई खुराक की लागत को कम करने के लिए कुछ साल पहले स्वदेशी तकनीक का विकास किया, ताकि इसे देश के डेयरी किसानों के लिए किफायती बनाया जा सके. आने वाले समय में इस तकनीक को बड़े पैमाने पर अपनाया जाएगा. स्वदेशी तकनीक से छंटनी कर बनाई गई शुक्राणुओं की खुराक उद्योग जगत में गुणवत्ता तथा उत्पादन के मानकों के समकक्ष पाई गई है.