Mahakumbh 2025 : आज पौष पूर्णिमा का अमृत स्नान है. सुबह से ही श्रद्धालु गंगा यमुना और सरस्वती नदी के संगम में डुबकी लगा रहे हैं. महाकुंभ को दुनिया का सबसे बड़ा मेला माना जाता है, जिसमें देश और विदेश के कोने-कोने से साधु संत आते हैं. ऐसे में चलिए आपको बताते हैं महाकुंभ 2025 से जुड़ी कुछ बातें जो आप नहीं जानते होंगे. दरअसल महाकुंभ मेला हर 12 साल में एक बार होता है. इसमें दुनिया भर के साधु संत और भक्त आस्था की डुबकी लगाते हैं. इस धार्मिक आयोजन में अमृत स्नान का विशेष महत्व है. इसके दौरान पवित्र नदियों में डुबकी लगाने से पापों का प्रायश्चित होता है और पुण्य की प्राप्ति होती है.
महाकुंभ मेला करीब 4000 हेक्टेयर भूमि पर फैला
अमृत स्नान लोगों को आध्यात्मिकता के करीब लाता है. प्रयागराज का महाकुंभ मेला करीब 4000 हेक्टेयर भूमि पर फैला है और इसे 25 सेक्टरों में बांटा गया है. उत्तर प्रदेश शासन ने महाकुंभ मेला परिक्षेत्र को राज्य का 76 वां जिला घोषित किया है. ज्योतिषियों के मुताबिक 144 साल बाद ग्रहों का दुर्लभ संयोग बन रहा है. महाकुंभ में अखाड़े आकर्षण का प्रमुख केंद्र होते हैं. अखाड़ों की शुरुआत आदि शंकराचार्य ने की थी. कहा जाता है कि उन्होंने सनातन की रक्षा के लिए शस्त्र विद्या में निपुण साधुओं के संगठन बनाए थे. अभी कुल 13 अखाड़े हैं, जिन्हें तीन श्रेणियों शैव वैष्णव और उदासीन में बांटा गया है. शैव संप्रदाय के कुल सात अखाड़े हैं. इनके अनुयाई भगवान शिव की पूजा करते हैं. वैष्णव संप्रदाय के तीन अखाड़े हैं. इनके अनुयाई भगवान विष्णु और उनके अवतारों की पूजा करते हैं.
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आस्थाओं का महासागर है कुंभ
उदासीन संप्रदाय के तीन अखाड़े हैं, इनके अनुयाई ओम की पूजा करते हैं. ओम अनंत शक्ति का प्रतीक है. किसी विपरीत परिस्थिति में साधु संतों और श्रद्धालुओं को त्वरित चिकित्सा सुविधाएं प्रदान करने के लिए प्रत्येक सेक्टर में एक सेंट्रल हॉस्पिटल के अलावा 20 बिस्तरों वाला एक अस्पताल बनाया गया है. महाकुंभ मेले में भीड़ के प्रभावी प्रबंधन और निगरानी के लिए एआई संचालित कैमरे ड्रोन और एंटी ड्रोन सिस्टम लगाए गए हैं. महाकुंभ में संदिग्ध लोगों पर नजर रखने के लिए स्पॉटर के अलावा सिविल पुलिस के 15000 जवानों को तैनात किया गया है.
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भारतीय रेलवे ने महाकुंभ के लिए 3000 स्पेशल ट्रेनें शुरू की
भारतीय रेलवे ने महाकुंभ के लिए 3000 स्पेशल ट्रेनें शुरू की हैं. ये ट्रेनें 13000 से ज्यादा फेरे लगाएंगी. प्रयागराज जंक्शन के अलावा आठ सब स्टेशन बनाए गए हैं. यह सब स्टेशन रेलवे के तीन जोन उत्तर मध्य रेलवे उत्तर रेलवे और पूर्वोत्तर रेलवे में बांटे गए हैं. प्रयागराज जंक्शन समेत सभी नौ स्टेशनों पर एंट्री और एग्जिट के लिए अलग-अलग रास्ते बनाए गए हैं. जैसे प्रयागराज जंक्शन पर एक नंबर प्लेटफार्म की तरफ से एंट्री होगी. प्लेटफार्म से बाहर निकलने की व्यवस्था सिविल लाइंस एंड की ओर से की गई. महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए मेला प्रशासन की तरफ से ठहरने की व्यापक व्यवस्था की गई है. मेला क्षेत्र में 10 लाख लोगों के रुकने की व्यवस्था की गई है. इनमें फ्री और पेड दोनों तरह की व्यवस्थाएं हैं. जैसे आप लग्जरी व्यवस्था चाहते हैं तो संगम के ही किनारे ही डोम सिटी में रुक सकते हैं. इसका किराया हर दिन का 80000 से लेकर 1.25 लाख तक है. प्रयागराज महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए वैसे तो मेला क्षेत्र में ही खाने पीने की तमाम चीजें और विकल्प उपलब्ध होंगे, लेकिन अगर आप प्रयागराज जा ही रहे हैं तो वहां की कचौड़ी सब्जी, दही जलेबी, समोसे, रसगुल्ले का जरूर लुत्फ उठाएं.