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Train News (Freepik)
Train News: भारतीय रेलवे सिर्फ परिवहन का माध्यम नहीं है बल्कि भारत की लाइफ लाइन है. हर रोज लाखों लोग ट्रेन से सफर करते हैं. आप अगर कभी रेलवे स्टेशन गए होंगे तो आपने देखा होगा कि वहां कई लोग रात भी बीताते हैं. स्टेशन पर खाने-पीने की जैसे- चाय, कॉफी, पानी की बोेतल, स्नैक्स सहित जरूरत का सभी सामान मिल जाता है. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि स्टेशन पर मेडिकल स्टोर क्यों नहीं होता.
जानें इस सवाल का जवाब
दरअसल, दवाओं की बिक्री सामान बेचने की तरह आसान काम नहीं है. दवाईयों को बेचने के लिए कड़े नियम और शर्तें होती हैं. दवाओं को सही तापमान और सुरक्षित जगह पर रखना होता है. इसके अलावा, मेडिकल पर एक लाइसेंसधारी फार्मासिस्ट का होना भी आवश्यक है.
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चूंकि रेलवे स्टेशन भीड़भाड़ वाली जगह है, जिस वजह से भीड़भाड़ वाली जगह पर इन नियमों का पालन करना आसान नहीं है. नकली दवाओं की सप्लाई रोकना भी यहां मुश्किल हो जाता है. स्टेशन पर मेडिकल न होने का एक कारण और है और वह है- लाभ. स्टेशन पर उपलब्ध सामान बाजार रेट से महंगे भी मिलते हैं क्योंकि दुकान का किराया और संचालन लागत ज्यादा है और दवाईयों की कीमत बढ़ाना नैतिक और कानूनी रूप से सही नहीं है.
इस वजह से मेडिकल स्टोर रेलवे स्टेशन पर चलाना भारी घाटे का सौदा बन सकता है. हालांकि, ऐसा नहीं है कि रेलवे अपने लोगों की सेहत और सुरक्षा को तवज्जो नहीं देता. अधिकांश बड़े स्टेशन पर फर्स्ट-एड रूम या फिर मेडिकल पोस्ट मौजूद रहते हैं. यहां ट्रेंड डॉक्टर्स और कर्मचारी होते हैं. इमरजेंसी में तुरंत ये प्राथमिक इलाज देते हैं. अगर केस सीरियस होता है तो अस्पताल से भी संपर्क किया जाता है.
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रेलवे का काम बढ़ सकता है
एक बात और है कि रेलवे प्रशासन का प्राथमिक काम ट्रेनों का संचालन करना है. वहीं ट्रेनों और यात्रियों की सुरक्षा की जिम्मेदारी भी रेलवे प्रशासन के हाथों में हैं. वहीं अब अगर स्टेशन पर दवा की दुकानें खोलने के लिए अनुमति दी जाएगी तो रेलवे का काम और बढ़ सकता है.