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बंगाल शिक्षक भर्ती घोटालः CBI की पहली गिरफ्तारी, 2 अफसर हिरासत में

केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने बुधवार को बंगाल स्कूल भर्ती घोटाले के सिलसिले में अपनी पहली गिरफ्तारी की. सीबीआई ने नियुक्तियों के लिए गठित विशेष सलाहकार समिति के संयोजक शांति प्रसाद सिन्हा और राज्य स्कूल सेवा आयोग के सचिव अशोक साहा को गिरफ्तार किया

Updated on: 10 Aug 2022, 10:59 PM

नई दिल्ली:

केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने बुधवार को बंगाल स्कूल भर्ती घोटाले के सिलसिले में अपनी पहली गिरफ्तारी की. सीबीआई ने नियुक्तियों के लिए गठित विशेष सलाहकार समिति के संयोजक शांति प्रसाद सिन्हा और राज्य स्कूल सेवा आयोग के सचिव अशोक साहा को गिरफ्तार किया है. कलकत्ता उच्च न्यायालय द्वारा मामले की सीबीआई जांच के आदेश के बाद सिन्हा और साहा से कई बार पूछताछ की गई. बुधवार को घंटों पूछताछ के बाद उन्हें हिरासत में ले लिया गया. सीबीआई के एक बयान के मुताबिक दोनों ने एसएससी नियमों के प्रावधानों का उल्लंघन किया और ग्रुप सी के कर्मचारियों की रिक्तियों को अनधिकृत तरीके से जमा किया और उन रिक्तियों के लिए असफल उम्मीदवारों के लिए सिफारिशें जारी की. उन्होंने इन सिफारिशों को जारी करने के लिए क्षेत्रीय आयोग के अध्यक्षों के जाली हस्ताक्षर किए. फिर इन सिफारिशों के आधार पर सामान्य श्रृंखला पदानुक्रम को दरकिनार करते हुए चयनित उम्मीदवारों के नाम वेबसाइट पर पोस्ट किए बिना नियुक्ति पत्र जारी किए गए. सीबीआई ने कहा है कि इस प्रकार योग्य उम्मीदवारों को नौकरी पाने से रोक दिया गया.

भाजपा की प्रतिक्रिया
विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने गिरफ्तारी की खबर पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि यह सिर्फ हिमशैल का सिरा है. यह 3000 करोड़ रुपये का भ्रष्टाचार है. उन्होंने इस पूरे मामले में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भी संलिप्त होने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि सीबीआई और ईडी को उन रैकेटियों को भी पकड़ना चाहिए, जिन्होंने उन लोगों के नाम जुटाए थे. उन्होंने कहा कि दो तरह के दलाल काम करते थे. इनमें से एक विधायकों का समूह था. उन्होंने कहा कि यही वजह है कि तापस साहा का पत्र पहले ही प्रकाशित हो चुका है. अब बाजपुर के पूर्व विधायक और बालगुरु का पत्र सामने आया है.

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टीएमसी विधायक को ईडी का समन 
इस बीच प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मामले के संबंधित टीएमसी विधायक माणिक भट्टाचार्य को नोटिस भेजा है. उन्हें अगले सप्ताह कोलकाता में ईडी कार्यालय में जांच अधिकारी के सामने पेश होने के लिए कहा गया था.

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ईडी ने मंत्री पार्थ व उनकी सहयोगी अर्पिता को किया था गिरफ्तार
गौरतलब है कि इसी केस में इससे पहले पूर्व मंत्री पार्थ चटर्जी और उनकी सहयोगी अर्पिता मुखर्जी को 23 जुलाई को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गिरफ्तार किया था. चटर्जी और मुखर्जी को ईडी द्वारा पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा प्रायोजित और सहायता प्राप्त स्कूलों के लिए स्कूल सेवा आयोग (एसएससी) द्वारा की गई अवैध भर्तियों में मनी ट्रेल की जांच के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था. ईडी ने दावा किया है कि उसने मुखर्जी के स्वामित्व वाले अपार्टमेंट से 49.80 करोड़ रुपये नकद, आभूषण और सोने की छड़ें बरामद की हैं. इन दोनों पर प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) के तहत आरोप हैं.