मलबे में दबे मालिक की तलाश में भटक रहा ‘शेरू’, 6 दिन बाद भी नहीं थमी तबाही की तस्वीरें

धराली गांव में अचानक आई बाढ़ से तबाही अभी भी जारी है. बचावकर्मी अभी भी मलबे में फंसे लोगों को निकाल रहे हैं.

धराली गांव में अचानक आई बाढ़ से तबाही अभी भी जारी है. बचावकर्मी अभी भी मलबे में फंसे लोगों को निकाल रहे हैं.

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Ravi Prashant
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धराली आपदा न्यूज Photograph: (IG)

उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के धराली में 5 अगस्त को आई भीषण आपदा का मंजर अब भी खत्म नहीं हुआ है. तेज बारिश के बाद आए अचानक फ्लैश फ्लड ने पूरे गांव को तबाही की चपेट में ले लिया. 6 दिन बीत जाने के बाद भी बचावकर्मी मलबे में दबे लोगों की तलाश में जुटे हुए हैं. इसी बीच एक भावुक कर देने वाली कहानी सामने आई है, जिसने हर किसी की आंखें नम कर दी हैं.

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बाल-बाल बच गया शेरू

स्थानीय लोगों के मुताबिक, हादसे वाले दिन से एक कुत्ता लगातार उसी इलाके में घूम रहा है जहां उसका मालिक मलबे में दब गया था. गांव के बच्चों ने इस वफादार कुत्ते का नाम शेरू रखा है. बताया जा रहा है कि शेरू भी इस आपदा में बाल-बाल बच गया, लेकिन उसका मालिक अब तक लापता है.

अपने मालिक के लिए बेचैन है शेरू

गांव के लोग कहते हैं कि जब भी उसे खाने-पीने को दिया जाता है, वह बहुत कम खाता है. रात के समय कई बार वह जोर-जोर से रोता है और बेचैनी में इधर-उधर दौड़ता है. उसकी आंखों में अपने मालिक को खोजने की ललक साफ देखी जा सकती है. स्थानीय निवासियों का कहना है कि घटना के बाद से शेरू का स्वास्थ्य भी बिगड़ने लगा है, लेकिन वह उस जगह को छोड़ने का नाम नहीं ले रहा जहां उसका मालिक आखिरी बार देखा गया था.

कई परिवाह हो गए तबाह

धराली में आई इस तबाही ने कई परिवारों की जिदगियां उजाड़ दी हैं. आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, अब तक 5 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, जबकि 150 से ज्यादा लोग अब भी लापता हैं. बचाव दल दिन-रात राहत कार्य में लगे हुए हैं, लेकिन लगातार बारिश और मलबे की मोटी परत के कारण खोज अभियान बेहद चुनौतीपूर्ण हो गया है.

हर जगह पसरा है मातम

गांव में जगह-जगह टूटे घर, बिखरा सामान और बर्बाद खेत इस आपदा की भयावहता की गवाही दे रहे हैं. कई लोग अब भी अपने परिजनों के मिलने की उम्मीद में मलबे के पास डटे हैं. इसी बीच शेरू की यह दर्दनाक कहानी इस त्रासदी का एक ऐसा चेहरा सामने लाती है, जो इंसानों के साथ-साथ जानवरों के गहरे रिश्ते और वफादारी को भी बयां करती है.

स्थानीय लोग शेरू को अपने बीच रखने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन उसकी नजरों में अभी भी बस अपने मालिक की तलाश है. धराली का यह दृश्य हर किसी को यही सोचने पर मजबूर कर रहा है कि वफादारी और प्यार की असली परिभाषा शायद शेरू जैसे जज़्बातों में छिपी है.

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