उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के धराली में आई प्राकृतिक आपदा ने जनजीवन को पूरी तरह अस्त-व्यस्त कर दिया है. तेज बारिश और सैलाब के बाद यहां कई मकान मलबे में दब गए, सड़कें टूट गईं और बचे हुए घर भी रहने लायक नहीं बचे. प्रशासन का कहना है कि धराली तक सड़क मार्ग बहाल होने में अभी दो से तीन दिन और लग सकते हैं.
सब कुछ बर्बाद हो गया
इलाके में चारों तरफ सिर्फ तबाही के निशान हैं. कई फीट ऊंचा मलबा, टूटे घर, बिखरा सामान और बेघर हो गए परिवार. लोगों की आंखों में आंसू हैं, क्योंकि तिनका-तिनका जोड़कर बनाए गए उनके आशियाने पलभर में बर्बाद हो गए. कई लोग अब भी लापता हैं और मलबे के नीचे दबे अपने परिजनों की तलाश कर रहे हैं.
लोकल लोगों ने सुनाई आपबीत्ती
स्थानीय निवासियों का कहना है कि अब उनके पास न तो रहने के लिए घर है, न पहनने के कपड़े, न ही जरूरी सामान. जो कुछ बचा है, वह सिर्फ जान और बदन पर कपड़े. कई परिवारों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है. बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक खुले आसमान के नीचे हैं.
प्रशासन कर रही है लगातार मदद
राहत और बचाव कार्य जारी है, लेकिन मलबा हटाने और लापता लोगों को ढूंढने में समय लग रहा है. सर्च एंड रेस्क्यू ऑपरेशन कितने दिन चलेगा, यह कहना मुश्किल है. स्थानीय लोगों और प्रशासन दोनों का मानना है कि इन घावों को भरने में महीनों लग सकते हैं.
दोनों इलाके में तबाही
धराली और हर्षिल की यह त्रासदी सिर्फ बर्बादी की कहानी नहीं है, बल्कि यह सवाल भी खड़ा करती है कि क्या पहाड़ी इलाकों में बेकाबू निर्माण और कमजोर बुनियादी ढांचा ऐसे हादसों को और भयावह बना रहा है. फिलहाल, यहां के लोग उम्मीद लगाए बैठे हैं कि मदद जल्दी पहुंचे और जिंदगी फिर से पटरी पर लौट सके.
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