logo-image

उत्तराखंड में भारत-चीन सीमा के आखिरी गांव तक सेना की हलचल तेज, आम लोगों के लिए रास्ता बंद

उत्तराखंड के चमोली जनपद में भारत-चीन का दूसरा बॉर्डर माणा है. माणा बॉर्डर का अंतिम गांव भी है. समुद्र तल से साढे 18000 फीट की ऊंचाई पर माणा बॉर्डर स्थित है.

Updated on: 22 Jun 2020, 10:56 AM

चमोली:

उत्तराखंड (Uttarakhand) के चमोली जनपद में भारत-चीन का दूसरा बॉर्डर माणा है. माणा बॉर्डर (Mana Border) का अंतिम गांव भी है. समुद्र तल से साढे 18000 फीट की ऊंचाई पर माणा बॉर्डर स्थित है. हालांकि बॉर्डर सड़क का बद्रीनाथ से जुड़ता हुआ कुछ हिस्सा बीआरओ के पास है. वहीं बाकी सड़क नेशनल हाईवे अथॉरिटी के अंतर्गत आती है. बद्रीनाथ धाम और बॉर्डर को जोड़ने वाली सड़क के हालात ज्यादा अच्छे नहीं है. जगह-जगह पर सड़क खराब है और बहुत बड़े-बड़े लैंडस्लाइड इसमें मौजूद है. जिनमें अक्सर कई बड़े हादसे भी होते हैं. माणा बॉर्डर रोड में बद्रीनाथ से करीब 11 किलोमीटर पहले हनुमान चट्टी पर इन दिनों लोगों को रोका जाता है.

यह भी पढ़ें- भगवान जगन्नाथ की यात्रा पर न लगे रोक, मुस्लिम युवक ने कोर्ट से की अपील- आज SC में सुनवाई

रक्षा कार्यों में जुटे कर्मचारी और सेना को ही आगे जाने की अनुमति

हनुमान चट्टी से आगे केवल बद्रीनाथ क्षेत्र के बामणी और माणा गांव के लोगों को ही प्रवेश दिया जाता है. सुरक्षा कार्यों में जुटे कर्मचारी और सेना को ही आगे जाने की अनुमति है. कोविड-19 के संक्रमण के चलते बद्रीनाथ धाम में बाहरी व्यक्तियों का प्रवेश बंद किया गया है. भारत-चीन बॉर्डर high-altitude क्षेत्र पर है. जहां आईटीबीपी और सेना के जवानों को विपरीत मौसम में कम ऑक्सीजन, बड़े-बड़े दर्रे, बड़े-बड़े ग्लेशियर और बड़ी नदियों का सामना करना पड़ता है. जिसके बाद वह बॉर्डर की सुरक्षा कर पाते हैं. हाई एल्टीट्यूड क्षेत्र में तैनात आईटीबीपी और सेना के जवान इन विपरीत परिस्थितियों के बाद भी 24 घंटे देश की सुरक्षा में डटे रहते हैं.

यह भी पढ़ें- राजगढ़ के NH-3 पर दो कारों में आपसी भिड़ंत, 5 लोगों की मौके पर मौत, 4 गंभीर घायल

श्रद्धालुओं का प्रवेश इस क्षेत्र में प्रतिबंधित

कोविड-19 के संक्रमण के चलते इन दिनों बद्रीनाथ धाम की यात्रा के साथ हेमकुंड साहिब की यात्रा भी बंद है. ऐसे में श्रद्धालुओं का प्रवेश इस क्षेत्र में प्रतिबंधित है. विश्व प्रसिद्ध फूलों की घाटी इन दिनों खोल दी गई है, लेकिन फिलहाल केवल फॉरेस्ट के अधिकारी ही वहां पेट्रोलिंग कर सकते हैं. आम लोगों के लिए अभी फूलों की घाटी में प्रवेश मना किया गया है. जिन क्षेत्रों में इस समय चहल पहल रहती थी वहां इन दिनों सन्नाटा है.