भगवान जगन्नाथ की यात्रा पर न लगे रोक, मुस्लिम युवक ने कोर्ट से की अपील- आज SC में सुनवाई
लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने 18 जून को एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कोरोना वायरस के कारण 23 जून को ओडिशा में भगवना जगन्नाथ की यात्रा पर रोक लगा दी थी.
नई दिल्ली:
ओडिशा के विश्व प्रसिद्ध जगन्नाथ भगवान की रथयात्रा आषाढ़ शुक्ल द्वितीया को निकाली जाती है. हजारों भक्त भगवान जगन्नाथ, बड़े भाई बलभद्र एवं बहन सुभद्रा के रथ को अपने हाथों से खींचते हैं एवं अपनी मनोकामना मांगते हैं. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने 18 जून को एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कोरोना वायरस के कारण 23 जून को ओडिशा में भगवना जगन्नाथ की यात्रा पर रोक लगा दी थी. इसके बाद भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा निकालने पर लगी रोक के फैसले के खिलाफ 19 वर्षीय मुस्लिम युवक ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. युवक ने शीर्ष कोर्ट से अपने फैसले पर फिर से विचार करने की अपील की है.
युवक के अलावा भाजपा नेता संबित पात्रा समेत 21 याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट सोमवार को सुनवाई करेगा. जानकारी के अनुसार CJI, एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की पीठ अब पुरी जगन्नाथ मंदिर रथयात्रा मामले की सुनवाई करेगी.
Centre mentions the annual Rath Yatra matter before Supreme Court and says, it can be held without public participation keeping in view the COVID19 pandemic https://t.co/swTOUGrGRU
— ANI (@ANI) June 22, 2020
वहीं केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष वार्षिक रथ यात्रा मामले का उल्लेख किया और कहा, यह COVID19 महामारी को ध्यान में रखते हुए सार्वजनिक भागीदारी के बिना आयोजित किया जा सकता है.
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बीए इकोनॉमिक्स के अंतिम वर्ष के छात्र आफताब हुसैन ने अपनी याचिका में कहा है कि पुरी शहर को पूरी तरह से बंद कर मंदिर के पुजारी और सेवकों की तरफ से ही रथयात्रा निकाली जा सकती है और इस तरह रथ यात्रा की परंपरा टूटने से बचाई जा सकती है. उन्होंने कहा है कि मंदिर में 1172 सेवक हैं. इन सभी का कोविड-19 टेस्ट किया जा चुका है जो निगेटिव आया है. तीनों रथ खींचने के लिए 750 लोगों की आवश्यकता होती है. मंदिर के पास 1172 सेवक हैं. ये लोग ही रथों को खींचकर गुंडिचा मंदिर तक ले जा सकते हैं. इस तरह रथयात्रा बिना बाहरी लोगों के शामिल हुए भी निकाली जा सकती है.
पुरी शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने भी फैसले पर पुनर्विचार की अपील की है. वहीं चीफ जस्टिस एसए बोबडे ने कहा था कि यदि कोरोना संकट के बीच हमने इस साल रथयात्रा की इजाजत दी तो भगवान जगन्नाथ हमें माफ नहीं करेंगे.
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