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cm yogi Photograph: (Social Media)
Yogi Govt Scheme: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार हर वर्ग के लिए तमाम योजना चला रही है. इसी के साथ योगी सरकार ने राज्य के बेसहारा और गरीब बच्चों के लिए भी एक खास योजना चला रही है. दरअसल, योगी सरकार ने अटल आवासीय विद्यालयों में निराश्रित बच्चों को सम्मान देने के लिए उन्हें‘राज्याश्रित’ कहने की मुहिम शुरू की है.
दरअसल, सीएम योगी के नेतृत्व में यूपी सरकार ने समाज के वंचित और बेसहारा बच्चों को सम्मानजनक पहचान देने की दिशा में बेहद ही संवेदनशील कदम उठाया है. बता दें कि अटल आवासीय विद्यालय समिति की बैठक में ऐतिहासिक निर्णय लिया गया है. जिसके तहत अब तक निराश्रित या अनाथ कहे जाने वाले बच्चों को भविष्य में राज्याश्रित कहा जाएगा. जिससे उन बच्चों को भी आत्मसम्मान और सामाजिक स्वीकार्यता मिल सके.
योगी सरकार ने शुरू की सम्मानजनक पहचान की शुरुआत
दरअसल, पिछले दिनों लखनऊ स्थित उत्तर प्रदेश भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड कार्यालय में एक बैठक हुई. इस बैठक की अध्यक्षता प्रमुख सचिव, श्रम एवं सेवायोजन विभाग डॉ. एम. के. शन्मुगा सुन्दरम् ने की. बैठक में श्रमायुक्त मार्कण्डेय शाही, अटल आवासीय विद्यालय की महानिदेशक पूजा यादव, नवोदय विद्यालय समिति के बी.के. सिन्हा समेत तमाम अधिकारी मौजूद रहे. बैठक में निर्णय लिया गया कि कोरोना काल में निराश्रित हुए या मुख्यमंत्री बाल सेवायोजना (सामान्य) के तहत आने वाले विद्यार्थियों को अब राज्याश्रित के नाम से जाना जाएगा.
सीबीएसई के माध्यम से होगा केंद्रीकृत प्रवेश
इसके साथ ही इस बैठक में निर्णय लिया गया कि शैक्षणिक सत्र 2026-27 से अटल आवासीय विद्यालयों में प्रवेश प्रक्रिया सीबीएसई (CBSE) के माध्यम से आयोजित कराई जाएगी जो केंद्रीकृत परीक्षा होगी. इससे चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता और एकरूपता आएगी.
सभी विद्यालयों में बनाई जाएंगी इनोवेशन लैब
इसके साथ ही छात्रों की प्रतिभा और वैज्ञानिक दृष्टिकोण को प्रोत्साहित करने के लिए सभी स्कूलों में इनोवेशन लैब बनाई जाएंगी. इन लैब को बनाने का उद्देश्य बच्चों में नवाचार की भावना, तकनीकी दक्षता और शोध की प्रवृत्ति को विकसित करना है, जिससे वे भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार हो सकें. यही नहीं इन स्कूलों में पढ़ने वाले सभी बच्चों को स्वास्थ्य बीमा का भी लाभ मिलेगा. जिसके लिए समिति ने सभी छात्र-छात्राओं को हेल्थ इंश्योरेंस के दायरे में लाने का निर्णय भी लिया. जिससे आकस्मिक स्थिति में बच्चों को आर्थिक या चिकित्सीय परेशानी का सामना न करना पड़े.
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