किसानों को उद्योगपति बनाने के गुर सिखाएगी योगी सरकार, देगी हर समस्या से निजात

नीति में एफपीओ के गठन के लिए कम से कम 10 किसान अलग-अलग परिवारों के होने चाहिए. इसके बाद रजिस्ट्रेशन और उससे संबंधित पहले साल की विधिक कार्यवाही पूरी करने के लिए करीब 36,500 रुपए का खर्च संभावित है.

नीति में एफपीओ के गठन के लिए कम से कम 10 किसान अलग-अलग परिवारों के होने चाहिए. इसके बाद रजिस्ट्रेशन और उससे संबंधित पहले साल की विधिक कार्यवाही पूरी करने के लिए करीब 36,500 रुपए का खर्च संभावित है.

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Ravindra Singh
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Yogi Adityanath

सीएम योगी आदित्यनाथ( Photo Credit : फाइल )

उत्तर प्रदेश सरकार किसानों को खेत से लेकर खलिहान तक और बीज से लेकर बाजार तक आत्मनिर्भर बनने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी. किसानों को सिखाया जाएगा कि वह किस प्रकार से उद्यमी बन सकते हैं और अपनी उपज को उत्पाद बनाकर कैसे बाजार में बेच सकते हैं. मुख्यमंत्री योगी के निर्देश पर फार्मर प्रोड्यूसर आर्गनाईजेशन (एफपीओ) की क्रियान्वयन नियमावली जारी कर दी गई है. सरकार की पहल पर प्रदेश का यह पहला मौका है, जब 17 विभाग मिशन मोड में एक साथ किसानों के लिए कार्य करेंगे.

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प्रदेश की अर्थव्यवस्था को एक ट्रिलियन डालर के रूप में स्थापित करने में 'उत्तर प्रदेश कृषक उत्पादक संगठन नीति 2020' महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी. इसकी मूल अवधारणा प्रदेश के हर किसान परिवार को उद्यमी के रूप में संगठित कर खेती बाड़ी में स्थापित करते हुए पूरा आत्मनिर्भर बनाना है. नीति में एफपीओ के गठन के लिए कम से कम 10 किसान अलग-अलग परिवारों के होने चाहिए. इसके बाद रजिस्ट्रेशन और उससे संबंधित पहले साल की विधिक कार्यवाही पूरी करने के लिए करीब 36,500 रुपए का खर्च संभावित है. एफपीओ के रजिस्ट्रेशन के लिए राज्य स्तर पर कंपनी सेक्रेटरी का एक पैनल बनाया जाएगा, जो एफपीओ के प्रशासनिक, वित्तीय, वैधानिक उत्तरदायित्वों के निर्वहन में आ रही कठिनाईयों को दूर करने में सहयोग करेगा.

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निर्धारित होगी फीस
आपको बता दें कि इसमें चयनित कंपनी सेक्रेटरी के विभिन्न कार्यों के लिए फीस निर्धारित की जाएगी, जिनके माध्यम से इच्छुक एफपीओ अपना पंजीकरण करा सकेंगे. एफपीओ को क्रियाशील बनाने और शेयर होल्डर्स की संख्या बढ़ाने में राज्यस्तरीय परियोजना प्रबंधन ईकाई की ओर से महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जाएगी. इसके लिए विभिन्न विशेषज्ञों की भर्ती प्रक्रिया, योग्यता, उनके कर्तव्य और उत्तरदायित्व निर्धारित किए गए हैं. इन विशेषज्ञों की ओर से विभिन्न विभागों से समन्वय कर उनके द्वारा संचालित परियोजनाओं से कन्वर्जेंस सपोर्ट दिया जाएगा. इससे एफपीओ के व्यवसायिक कार्य शुरू हो जाएंगे.

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मानिटरिंग रिपोर्ट्स के आधार पर पुरस्कृत भी किए जाएंगे
नई नीति में राज्य स्तरीय परियोजना प्रबंधन ईकाई की ओर से सफल एफपीओ को राष्ट्रीय स्तर पर भ्रमण भी कराया जाएगा. इसी तरह अंतर जनपदीय भ्रमण साल में दो बार, अंतरराज्यीय भ्रमण साल में एक बार कराया जाएगा. विशेष परिस्थितियों में सहभागिता आधार पर भ्रमण कार्यक्रमों की संख्या बढ़ाई जा सकती है. इसके अलावा मानिटरिंग रिपोर्ट के आधार पर सफल एफपीओ को प्रथम, द्वितीय और तृतीय पुरस्कार भी दिए जाएंगे.

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पोर्टल में होंगी एफपीओ से जुड़ी सभी जानकारियां
एफपीओ को कन्वर्जेंस सहायता देने वाले 17 विभागों को चिह्न्ति किया गया है. इसमें कृषि विभाग, उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग, पशुधन विभाग, ग्राम्य विकास समेत अन्य विभागों को शामिल किया गया है. नीति के मुताबिक एफपीओ को पांच लाख रुपए तक के लोन पर ब्याज दर में से चार प्रतिशत का अनुदान देने की भी योजना है. एफपीओ से जुड़ी हर जानकारी के लिए एक पोर्टल भी बनाया जाएगा, जिस पर एफपीओ से जुड़ी सभी प्रकार की सूचनाएं उपलब्ध रहेंगीं.  प्रदेश में कृषि और उससे संबंधित क्षेत्र में बढ़िया काम करने वाले अग्रणी किसानों की एक एफपीओ सलाहकार समिति भी बनाई जाएगी.

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राज्य इकाइयों की ओर से तैयार होगा प्रशिक्षण कैलेंडर
इसमें धान, दलहन, तिलहन, सब्जी, फल, पशुपालन, दुग्ध उत्पादन, मत्स्य, रेशम, पुष्पोत्पादन, खाद्य प्रसंस्करण, मूल्य संवर्धन, विपणन आदि क्षेत्र के अग्रणी किसानों को सदस्य के रूप में नामित किया जाएगा. एफपीओ के सफल क्रियान्वयन के लिए किसानों से लेकर अधिकारियों को भी प्रशिक्षण दिया जाएगा. इसके लिए राज्य स्तरीय ईकाईयों की ओर से एक प्रशिक्षण कैलेंडर तैयार होगा. जिसके क्रम में कृषि विभाग के मंडल, जिले और खंड विकास स्तरीय अधिकारियों का अलग अलग बैचों में प्रशिक्षण दिया जाएगा. राज्य स्तर पर कृषि उत्पादन आयुक्त को अध्यक्ष, मंडल स्तर पर कमिश्नर को अध्यक्ष और जिले स्तर पर डीएम को अध्यक्ष बनाया गया है.

Source : News Nation Bureau

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