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विकास दुबे एनकाउंटर की होगी न्यायिक जांच, आयोग पुलिस-अपराधी गठजोड़ की भी करेगा जांच

उत्तर प्रदेश सरकार ने बिकरू गांव में तीन जुलाई को घात लगाकर पुलिसकर्मियों पर की गई गोलीबारी और आठ जवानों की शहादत एवं इस मामले के मुख्य अभियुक्त विकास दुबे के 10 जुलाई को एनकाउंटर में मारे जाने की न्यायिक जांच के आदेश दिए हैं.

Updated on: 13 Jul 2020, 08:07 AM

कानपुर:

उत्तर प्रदेश सरकार ने बिकरू गांव में तीन जुलाई को घात लगाकर पुलिसकर्मियों पर की गई गोलीबारी और आठ जवानों की शहादत एवं इस मामले के मुख्य अभियुक्त विकास दुबे के 10 जुलाई को एनकाउंटर में मारे जाने की न्यायिक जांच के आदेश दिए हैं. आधिकारिक सूत्रों ने रविवार को यह जानकारी दी. न्यायिक जांच जस्टिस शशिकांत अग्रवाल (सेवानिवृत्त) के नेतृत्व में होगी और इनका मुख्यालय कानपुर होगा. जांच रिपोर्ट दो महीने में सौंपनी है. इस घटना के बाद एनकाउंटर में मारे गए अन्य अपराधियों को भी जांच के दायरे में लिया जाएगा. दुबे के साथ ही छह अपराधी तीन जुलाई से 10 जुलाई के बीच मारे गए. आधिकारिक विज्ञप्ति के मुताबिक, न्यायिक आयोग पुलिस-अपराधी गठजोड़ की भी जांच करेगा. आयोग को यह सुझाव देने के लिए भी कहा गया है कि इस गठजोड़ को कैसे रोका जा सकता है.

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विशेष जांच टीम बनाई है जो तीन जुलाई की घटना में पुलिस की भूमिका की जांच करेगी

राज्य सरकार ने शनिवार को अतिरिक्त मुख्य सचिव संजय भूसरेड्डी के नेतृत्व में एक विशेष जांच टीम बनाई है जो तीन जुलाई की घटना में पुलिस की भूमिका की जांच करेगी. वहीं कुख्यात अपराधी विकास दुबे के यहां छापेमारी के दौरान सूचना देने के मामले में कथित भूमिका निभाने को लेकर निलंबित और गिरफ्तार किए गए पुलिस के एक अधिकारी ने उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाकर सुरक्षा देने की मांग की है. उसने मुठभेड़ों का हवाला देते हुए सुरक्षा मांगी है, जिसमें दुबे और उसके सहयोगी मारे गए. अपनी पत्नी विनीता सिरोही के मार्फत दायर याचिका में अधिकारी कृष्ण कुमार शर्मा ने आशंका जताई है कि उसे भी ‘‘अवैध और असंवैधानिक तरीकों’’ से मारा जा सकता है. 

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वाहन कथित तौर पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया

दुबे शुक्रवार को पुलिस के साथ मुठभेड़ में भैती इलाके में तब मारा गया था जब उज्जैन से उसको लेकर आ रहा वाहन कथित तौर पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया और उसने भागने का प्रयास किया. कानपुर के चौबेपुर इलाके के बिकरू गांव में तीन जुलाई को दुबे की गिरफ्तारी के लिए गई पुलिसकर्मियों की टीम पर उसने और उसकी टीम ने हमला कर दिया था जिसमें पुलिस उपाधीक्षक देवेन्द्र मिश्रा सहित आठ पुलिसकर्मी मारे गए थे. उच्चतम न्यायालय में दायर याचिका में शर्मा ने कहा कि उसे इस आधार पर गिरफ्तार कर लिया गया कि उसने बिकरू गांव में पुलिस की छापेमारी के बारे में आरोपियों को सूचना दी थी. वर्तमान में जेल में बंद शर्मा ने इस दावे को चुनौती देते हुए कहा कि उसके प्रभारी और चौबेपुर थाने के एसएचओ विनय तिवारी ने उसे थाने में ही रहने के निर्देश दिए थे.