UP Crime: लखनऊ में दिल दहला देने वाली घटना, पड़ोसी ने कार से बच्चों को कुचला

लखनऊ के आशियाना इलाके में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है. यहां पड़ोसी युवक ने तेज रफ्तार कार से बच्चों को टक्कर मार दी. हादसे में दो बच्चे गंभीर रूप से घायल हुए, जिनमें से एक की पसलियां टूट गईं.

लखनऊ के आशियाना इलाके में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है. यहां पड़ोसी युवक ने तेज रफ्तार कार से बच्चों को टक्कर मार दी. हादसे में दो बच्चे गंभीर रूप से घायल हुए, जिनमें से एक की पसलियां टूट गईं.

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Deepak Kumar
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Car thrashed children in Lucknow

Car thrashed children in Lucknow, UP Photograph: (News Nation)

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के आशियाना इलाके से एक बड़ी खबर सामने आई है. यहां तीन बच्चे अपनी साइकिल लेकर गली में खड़े होकर बातें कर रहे थे. इसी दौरान पास की गली से एक कार तेज रफ्तार में मुड़ी और सीधे बच्चों को टक्कर मार दी. इस घटना में दो बच्चे गंभीर रूप से घायल हो गए. सीसीटीवी फुटेज में पूरी घटना कैद हुई है.

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जानकारी के मुताबिक, आशियाना सेक्टर-आई निवासी हरिद्वार पांडेय स्वास्थ्य विभाग से रिटायर्ड हैं और अपने बेटे अंकित व बहू के साथ रहते हैं. उनका पोता शौविक पांडेय 10 अगस्त को घर के बाहर खड़ा था. उसके साथ पड़ोसी विनय उपाध्याय का बेटा कुशल सौमिल भी मौजूद था. तभी सामने रहने वाले सीएल वर्मा का बेटा शिवांश वर्मा कार लेकर आया और शौविक पर गाड़ी चढ़ा दी.

बच्चे की पसलियां टूटीं

कार की टक्कर इतनी तेज थी कि एक बच्चा कार के टायर के नीचे दब गया, जबकि दूसरा बच्चा उछलकर दीवार से जा टकराया. कार के नीचे दबा बच्चा किसी तरह उठकर घर चला गया, लेकिन उसकी पसलियां टूट गईं. उसे तीन दिन तक आईसीयू में भर्ती रहना पड़ा. परिवार का आरोप है कि आरोपी पक्ष न तो हालचाल लेने आया और न ही अस्पताल पहुंचा.

सीसीटीवी से खुला राज

शुरुआत में परिवार ने इस घटना को हादसा माना, लेकिन जब सीसीटीवी फुटेज सामने आया तो साफ हुआ कि बच्चों को जानबूझकर टक्कर मारी गई. हरिद्वार पांडेय ने बताया कि जब वे बातचीत के लिए आरोपी के घर गए तो वहां पहले से कई लोग मौजूद थे. वहां पर बच्चों को ही गलती का जिम्मेदार ठहराया गया.

धमकी और पुलिस कार्रवाई पर सवाल

परिवार का कहना है कि उन्हें आरोपी पक्ष ने घर बुलाकर धमकाया. इसके बाद जब वे पुलिस के पास शिकायत लेकर गए तो कार्रवाई करने के बजाय थाने के चक्कर लगवाए गए. नई तहरीर लिखवाई गई और तारीख तक बदलवाई गई. आखिरकार रविवार (17 अगस्त) देर रात जाकर मुकदमा दर्ज हुआ.

यह घटना अब पूरे इलाके में चर्चा का विषय बनी हुई है. परिवार का साफ आरोप है कि यह कोई हादसा नहीं, बल्कि सोची-समझी साजिश थी.


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