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UP News: कानपुर के चर्चित अखिलेश दुबे प्रकरण में पुलिस विभाग की अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई सामने आई है. इस मामले में पुलिस उपाधीक्षक (सीओ) ऋषिकांत शुक्ला को निलंबित कर दिया गया है. उन पर 100 करोड़ रुपये से अधिक की बेनामी संपत्ति रखने और अखिलेश दुबे गिरोह का सहयोग करने के गंभीर आरोप लगे हैं. शासन ने उनके खिलाफ विजिलेंस जांच के आदेश जारी कर दिए हैं.
शिकायतकर्ता सौरभ भदौरिया के अनुसार, ऋषिकांत शुक्ला ने अपने कार्यकाल के दौरान करोड़ों की संपत्ति अर्जित की. जांच में अब तक लगभग 100 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति का खुलासा हुआ है, जबकि कुल संपत्ति 200 से 300 करोड़ रुपये तक बताई जा रही है. वर्तमान में वह मैनपुरी जिले के भोगांव में क्षेत्राधिकारी के रूप में तैनात हैं.
DSP का वेतन
डीएसपी यानी डिप्टी सुपरिटेंडेंट ऑफ पुलिस एक राज्य स्तरीय अधिकारी होता है जिसकी भर्ती राज्य लोक सेवा आयोग के माध्यम से होती है. उत्तर प्रदेश सरकार में डीएसपी का पे स्केल 56,100 रुपये से लेकर 1,67,800 रुपये तक होता है. 7वें वेतन आयोग के अनुसार, डीएसपी की इन-हैंड सैलरी करीब 73,000 से 80,000 रुपये के बीच होती है, जो सर्विस के वर्षों और ग्रेड पे पर निर्भर करती है.
जॉइंट सीपी का बयान
जॉइंट सीपी अशुतोष कुमार ने बताया कि ऋषिकांत शुक्ला की कानपुर में लंबे समय तक तैनाती रही और इसी दौरान उन्होंने अखिलेश दुबे के साथ मिलकर कई संपत्तियां अर्जित कीं. जांच में यह भी सामने आया है कि उन्होंने अपने रिश्तेदारों और साझेदारों के नाम पर बेनामी संपत्तियां खरीदीं. कानपुर और आसपास के जिलों में करीब 92 करोड़ रुपये की संपत्ति का पता चला है.
सूत्रों के अनुसार, ऋषिकांत शुक्ला ने अपनी ड्यूटी के दौरान एसओजी के माध्यम से भारी धन अर्जित किया, और गोवा, चंडीगढ़ और पंजाब में भी संपत्तियां बनाई हैं. जांच में यह भी सामने आया है कि इन संपत्तियों में से कई ऋषिकांत शुक्ला के पैन नंबर से जुड़ी हुई हैं. कानपुर के आर्यनगर इलाके में उनके नाम पर 11 दुकानें हैं, जिनका बाजार मूल्य करोड़ों में है.
कौन हैं ऋषिकांत शुक्ला?
ऋषिकांत शुक्ला 2021 बैच के पीपीएस अधिकारी हैं और देवरिया जिले के रहने वाले हैं. उनका जन्म 7 जुलाई 1968 को हुआ था. उन्होंने अपने करियर का अधिकांश समय कानपुर नगर में बिताया.
अखिलेश दुबे प्रकरण में अन्य नाम भी जांच के घेरे में
इस मामले में अन्य पुलिस अधिकारी जैसे डिप्टी एसपी विकास पांडेय (लखनऊ), संतोष कुमार सिंह (हरदोई) और महेंद्र कुमार सोलंकी (बस्ती) पर भी कार्रवाई की तलवार लटक रही है. इन सभी पर अखिलेश दुबे के सहयोगी होने का आरोप है. एसआईटी ने सभी को दो बार नोटिस जारी कर जवाब मांगने के लिए कहा है. यह पूरा मामला अब विजिलेंस और एसआईटी जांच के अधीन है, और आने वाले दिनों में कई और खुलासे होने की संभावना है.
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