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"राष्ट्रपति जी, मेरी मां को फांसी न दें. मैं उनसे बहुत प्यार करता हूं"

महिला कैदी शबनम के बेटे ताज ने अपनी मां की फांसी की सजा माफ करने के लिए भारत के राष्ट्रपति करने के लिए दोबारा गुहार की है

Updated on: 19 Feb 2021, 10:37 AM

अमरोहा:

उत्तर प्रदेश के अमरोहा में अपने ही परिवार के सात सदस्यों की जघन्य हत्या करने वाली शबनम (Shabnam) ने एक बार फिर फांसी से बचने के लिए दया की गुहार लगाई है. बामनखेड़ी कांड में दोषी शबनम की फांसी की संभावनाओं के बीच उनके बेटे ताज ने राष्ट्रपति से अपनी मां की फांसी की सजा माफ करने की गुहार लगाई है. शबनम के बेटे ताज ने बताया, "मेरी राष्ट्रपति जी से अपील है कि मेरी मां को फांसी न दें. मैं उनसे बहुत प्यार करता हूं." ध्‍यान रहे कि अगर शबनम को फांसी होती है तो यह स्वतंत्र भारत के इतिहास में पहली बार किसी महिला को फांसी होगी.

गौरतलब है कि कुछ समय पूर्व अंग्रेज़ी अख़बार हिंदुस्तान टाइम्स ने मथुरा जेल के वरिष्ठ जेल अधिकारी अख़िलेश कुमार के हवाले से ख़बर प्रकाशित की थी कि साल 2008 में अपने परिवार की हत्या के मामले में दोषी शबनम को जल्द फांसी दी जा सकती है. आगरा के डीआईजी (जेल) अखिलेश कुमार ने कहा कि मथुरा की ज़िला जेल में शबनम को फांसी दिए जाने की तैयारियां चल रही हैं. पवन जल्लाद भी दो बार मथुरा जेल के महिला फांसी घर का मुआयना कर चुका है. मामले में मथुरा जेल प्रशासन को बस अब शबनम के डेथ वारंट का इंतजार है.
शबनम के दो वकील इस बीच रामपुर ज़िला कारागार पहुंचे. यहां उन्होंने जेल अधीक्षक को दया याचिका (Mercy Petition) के लिए प्रार्थनापत्र सौंपा. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, जेल अधीक्षक अब प्रदेश की राज्यपाल को दया याचिका का यह प्रार्थनापत्र भेजेंगे.  इससे पहले शबनम की पहली दया याचिका राष्ट्रपति खारिज कर चुके हैं. अब उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल को शबनम के वकील फिर दया याचिका भेज रहे हैं.

क्‍या था मामला
अमरोहा के रहने वाले शबनम और उनके प्रेमी सलीम ने 14-15 अप्रैल 2008 की रात को परिवार के सात लोगों को नशीला पदार्थ देकर उनका गला काट दिया था. इनमें एक 10 महीने का बच्चा भी था जिसका गला घोंट दिया गया था. उस समय 24 वर्षीय शबनम एक स्कूल में पढ़ाती थीं और सलीम से प्रेम करती थीं लेकिन उनके घरवाले उनके संबंध के ख़िलाफ़ थे. 2010 में ट्रायल कोर्ट ने दोनों को मौत की सज़ा सुनाई थी जिसको 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने भी बरक़रार रखा था.हत्याकांड के वक्त शबनम दो महीने की गर्भवती थी. शबनम ने जेल में ही ताज को जन्म दिया था. 
मीडिया में छपी खबरों के मुताबिक शबनम के दोस्त रहे उस्मान सैफी ने ताज को गोद ले लिया था. आज ताज 12 साल का है. उसने जब मां को फांसी देने की बात सुनी तो राष्ट्रपति से माफ़ी की गुहार लगाई है. बुलंदशहर में भूड़ चौराहे के समीप सुशील विहार कॉलोनी में रहने वाले उस्मान सैफी के संरक्षण में पल-बढ़ रहे ताज को मां के गुनाहों का अहसास है. 

चाचा-चाची की जल्द फांसी देने की मांग
मीडिया में छपी खबरों के मुताबिक शबनम के चाचा और चाची ने उसे जल्‍द फांसी देने की मांग की है. चाची ने तो खून का बदला खून से लेने की बात कही है.
चाची के अनुसार, उस समय अगर हम भी घर में होते तो हमें भी इसने मार डाला होता. हम घटना के बाद आधी रात में यहां पहुंचे थे. शबनम की चाची ने कहा कि याचिका खारिज हो गई, हम तो बहुत खुश हैं. इसे फांसी होनी चाहिए. वहीं, फांसी पर चढ़ाए जाने के बाद क्या डेडबॉडी लेंगीं? इस सवाल के जवाब में चाची ने कहा कि हम क्यों लेंगे? हम नहीं लेंगे. हम क्या करेंगे ऐसी लड़की की लाश लेकर? चाचा ने कहा कि हम उस समय यहां नहीं थे. रात में दो बजे के बाद मौके पर पहुंचे थे, सब कटे हुए पड़े थे. इसने जो किया है, वो ही भरना है. उन्होंने कहा कि दूसरा देश होता तो इसे बहुत पहले ही फांसी हो जाती.
HIGHLIGHTS

  • यह स्वतंत्र भारत के इतिहास में पहली बार किसी महिला को फांसी होगी.
  • शबनम के चाचा और चाची ने उसे जल्‍द फांसी देने की मांग की है.
  • ताज को मां के गुनाहों का अहसास है.