logo-image

फूलन देवी की हत्या करने के 20 साल बाद शेरसिंह राणा ने बेहमई का किया दौरा

फूलन देवी को गोली मारने वाले व्यक्ति की एक झलक पाने के लिए आस-पास के गांवों के ठाकुर भी बेहमई पहुंचे. राणा को स्थानीय लोगों द्वारा कंधे पर उठाया गया और माला पहनाई गई.

Updated on: 10 Mar 2021, 04:44 PM

highlights

  • फूलन देवी को गोली मारने वाले व्यक्ति की एक झलक पाने के लिए आस-पास के गांवों के ठाकुर भी बेहमई पहुंचे.
  • शेर सिंह राणा के साथ सेल्फी लेने के लिए शिरीष, और उनके जैसे सैकड़ों अन्य लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी.
  • राणा की एक झलक पाने के लिए पड़ोसी के घर की छत पर चढ़ गई 12वीं कक्षा की छात्रा नंदिनी सिंह.

बेहमई:

कानपुर देहात के बेहमई गांव में 40 साल पहले 14 फरवरी, 1981 को, एक युवा लड़की ने एक डकैत गिरोह द्वारा अपने यौन शोषण का बदला लेने के लिए 20 निर्दोष व्यक्तियों की गोली मारकर हत्या कर दी थी. तब बैंडिट क्वीन फूलन देवी के नाम से जानी जाने वाली युवा लड़की बाद में सांसद बन गई. बेहमई नरसंहार में मारे गए लोगों में से 17 ठाकुर थे. जुलाई 2001 में, फूलन की दिल्ली में एक ठाकुर युवक शेर सिंह राणा ने गोली मारकर हत्या कर दी, जिसने दावा किया था कि उसने बेहमई में ठाकुरों के नरसंहार का बदला लेने के लिए फूलन की हत्या की थी.

यह भी पढ़ें : केरल विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस को बड़ा झटका, PC चाको ने छोड़ी पार्टी

मंगलवार को, शेर सिंह राणा ने बेहमई का दौरा किया और उन लोगों को श्रद्धांजलि दी जिनकी हत्या फूलन ने की थी. राणा ने उन लोगों की याद में गांव में बने एक स्मारक का दौरा किया, जो 1981 के नरसंहार में मारे गए थे और पुष्पांजलि अर्पित की. राणा नरसंहार मामले में मुख्य गवाह और वादी राजा राम सिंह के घर भी गया. सिंह का 85 साल की उम्र में लंबी बीमारी के बाद दिसंबर 2020 में निधन हो गया. जैसे ही शेर सिंह राणा के आने की खबर फैली, लगभग पूरा गांव उसका अभिवादन करने के लिए उमड़ पड़ा.

यह भी पढ़ें : सीएम मनोहर लाल खट्टर कल हुए थे भावुक, आज सुना दिए ये शेर

फूलन देवी को गोली मारने वाले व्यक्ति की एक झलक पाने के लिए आस-पास के गांवों के ठाकुर भी बेहमई पहुंचे. राणा को स्थानीय लोगों द्वारा कंधे पर उठाया गया और माला पहनाई गई. शेर सिंह राणा ने भीड़ को संबोधित करते हुए कहा कि वह ठाकुरों के सम्मान के लिए लड़ते रहेगा. हालांकि बेहमई और आसपास के गांवों में वर्तमान आबादी का अधिकांश हिस्सा नरसंहार का गवाह नहीं रही है, लेकिन हर कोई इस घटना को जानता है.

कानपुर में कंप्यूटर साइंस का कोर्स कर रहे 21 साल के शिरीष सिंह कहते हैं, "मेरे दादा और पिता ने मुझे बेहमई नरसंहार के बारे में बताया है. हम इस बारे में कहानियां सुनते हुए बड़े हुए हैं. मेरे लिए, उस आदमी को देखना सपना सच होने जैसा है, जिसने हमारे लिए नरसंहार का बदला लिया. मेरे दो रिश्तेदार मारे गए लोगों में से थे."

यह भी पढ़ें : दीदी, चुनाव जो न कराए आपसे : गिरिराज सिंह

शेर सिंह राणा के साथ सेल्फी लेने के लिए शिरीष, और उनके जैसे सैकड़ों अन्य लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी. राणा की एक झलक पाने के लिए पड़ोसी के घर की छत पर चढ़ गई 12वीं कक्षा की छात्रा नंदिनी सिंह ने कहा, "दूसरों के लिए, वह एक अपराधी हो सकता है, लेकिन हमारे लिए, वह हमारा हीरो है."