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'मिशन शक्ति' से ग्रामीण महिलाओं को मिलने लगी आर्थिक आजादी

राजकुमारी मौर्या ने बताया कि साल 2018 में 100 रुपए का कर्ज लेकर खीरे की खेती कर पहली बार 8,000 रुपए की आमदनी हुई. परिवार वालों के साथ मशरूम, लौकी, मटर, सेम, चुकन्दर, पालक, टमाटर और पशुपालन कर 45,100 रुपए की प्रतिमाह की आमदनी अब हो रही है.

Updated on: 11 Nov 2020, 01:12 PM

लखनऊ:

महिला सुरक्षा, सम्मान और स्वावलंबन के लिए उत्तर प्रदेश की योगी सरकार की मुहिम 'मिशन शक्ति' कारगर सिद्ध हो रही है. इसके तहत ग्रामीण महिलाओं के साथ शहर की महिलाओं के स्वावलंबन को नया आधार मिल रहा है. स्वयं सहायता समूह के चलते महिलाएं रोजगार की मुख्यधारा से जुड़कर आत्मनिर्भर बन रही हैं. लखनऊ के ग्राम पंचायत अमलौली माल ब्लॉक कि राजकुमारी मौर्या ने 14 गरीब परिवारों को जोड़कर उजाला स्वयं सहायता समूह का गठन किया जिसके बाद खेती पर निर्भर इन परिवारों की आय प्रतिमाह 20 से 40 हजार रुपए हो गई है.

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राजकुमारी मौर्या ने बताया कि साल 2018 में 100 रुपए का कर्ज लेकर खीरे की खेती कर पहली बार 8,000 रुपए की आमदनी हुई. परिवार वालों के साथ मशरूम, लौकी, मटर, सेम, चुकन्दर, पालक, टमाटर और पशुपालन कर 45,100 रुपए की प्रतिमाह की आमदनी अब हो रही है. उन्होंने बताया कि समूह से 2,000 महिलाएं जुड़ी हैं जो अब खेती व पशुपालन कर अपने परिवारों का पालन पोषण अच्छे से कर रही हैं. राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत प्रशिक्षण ले चुकी राजकुमारी किसान पाठशाला लगाकर महिलाओं को प्रशिक्षित कर रही हैं. उजाला स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाओं को खेती-किसानी और पशुपालन की जानकारी चौपाल के जरिए दे रही हैं.

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उपायुक्त स्वत: रोजगार सुखराज बंधू ने बताया कि लखनऊ में 495 गांव पंचायतें हैं. जिसमें 191 स्वयं सहायता समूह से 515 महिलाएं जुड़ी हैं. रहीमाबाद, मोहनलालगंज, गुडंबा, निगोहा समेत आस पास के क्षेत्रों में महिलाओं और बेटियों को स्वावलंबी बनाने के उद्देश्य से टीमों का गठन किया गया है.

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उन्नाव जिले के उतरौरा गांव के ब्लॉक असोहा में महिलाओं को स्वावलंबी बनाने के उद्देश्य में अभिनव शुक्ला लगे हैं. गैर सरकारी संस्था के तहत वो ग्रामीण महिलाओं को जैविक खेती, गोबर के दीये, झालर, डिजाइनर सजावटी सामान, मसाले, अचार, पापड़ जैसे छोटे व्यापारों को शुरू करने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है. उन्होने बताया कि लघु कुटीर व्यापारों से जुड़कर प्रत्येक महिला प्रतिमाह 6 हजार से 10 हजार रुपए की आमदनी कर रही हैं. इसके साथ ही दीपावली पर्व को लेकर 200 महिलाओं द्वारा 10,000 गोबर के दीये तैयार किए गए हैं जो बाजरों में खूब बिक रहे हैं.