हिंदू को जातियों में बांटा जा रहा है, मंदिर पर सभी का अधिकार : भागवत
सरसंघ चालक ने लखनऊ में सामाजिक समरसता के बारे में जोर दिया है. उन्होंने कहा कि कोई भी ऐसी जाति नहीं है, जिसमें श्रेष्ठ, महान तथा देशभक्त लोगों ने जन्म नहीं लिया हो. मंदिर, श्मशान और जलाशय पर सभी जातियों का समान अधिकार है.
लखनऊ:
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक (आरएसएस) मोहन भागवत इन दिनों उत्तर प्रदेश के दौरे पर हैं. कानपुर के बाद अब दो दिनों से वह लखनऊ में हैं. उनका दौरा इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यूपी में उपचुनाव होने हैं. इस समय धर्मातरण, लव जिहाद, जातिगत राजनीति जैसे तमाम मुद्दे हावी हैं. इन सबको 'डैमेज कंट्रोल' करने के लिए भागवत की पाठाशाला में सामाजिक समरसता को लेकर उनका काफी जोर रहा. संघ से जुड़े लोगों का मानना है कि वर्तमान में यहां पर विपक्षी दलों द्वारा हिंदू एकता को विखंडित करने के लिए जातियों का उलझाया किया जा रहा है. इसी को लेकर संघ प्रमुख ने सामाजिक समरसता के बारे में सभी को ध्यान देने की जरूरत को बताया है. उन्होंने कहा कि कोई महापुरुष अपनी जाति के कारण नहीं, बल्कि अपने कार्यों से प्रसिद्ध हुए हैं, इसलिए जातियों के फेर में किसी को नहीं फंसना चाहिए.
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सरसंघ चालक ने लखनऊ में सामाजिक समरसता के बारे में जोर दिया है. उन्होंने कहा कि कोई भी ऐसी जाति नहीं है, जिसमें श्रेष्ठ, महान तथा देशभक्त लोगों ने जन्म नहीं लिया हो. मंदिर, श्मशान और जलाशय पर सभी जातियों का समान अधिकार है. महापुरुष केवल अपने श्रेष्ठ कार्यो से महापुरुष हैं और उनको उसी दृष्टि से देखे जाने का भाव भी समाज में बनाए रखना बहुत आवश्यक है.
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उन्होंने कुटुंब (परिवार) को कहा, हमारे समाज में परिवार की एक विस्तृत कल्पना है, इसमें केवल पति, पत्नी और बच्चे ही परिवार नहीं हैं, बल्कि बुआ, काका, काकी, चाचा, चाची, दादी, दादा आदि ये सब भी प्राचीन काल से हमारी परिवार सकंल्पना में रहे हैं, इसलिए परिवार में प्रारंभ काल से ही बच्चों के अंदर संस्कार निर्माण करने की योजना होनी चाहिए. उनके अंदर अतिथि देवो भव का भाव उत्पन्न करना चाहिए और समय-समय पर उन्हें महापुरुषों की कहानियां और उनके संस्मरण भी सुनाए और सिखाए जाने चाहिए.
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सरसंघ चालक ने सामाजिक सगंठन, धार्मिक संगठन द्वारा किए जाने वाले कार्य में संघ के स्वयंसेवकों को बढ़कर सहयोग करना चाहिए. बैठक में कुटुंब प्रबोधन, सामाजिक समरसता, गौसेवा, ग्राम विकास, पर्यावरण, धर्म जागरण, और सामाजिक सद्भाव गतिविधियों से जुड़े हुए कार्यकर्ता मौजूद रहे.
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