प्रयागराज के गोरा कब्रिस्तान की रहस्यमयी कहानी, शाम होते ही क्यों बंद हो जाता है 168 साल पुराना इलाका?

Prayagraj: ये कहानी है प्रयागराज स्थित एक गोरा कब्रिस्तान की, जहां शाम होते ही 168 साल पुराना इलाका पूरी तरह बंद हो जाता है. आखिर ऐसा क्या है कि लोग यहां जाने से खौफ खाते हैं.

Prayagraj: ये कहानी है प्रयागराज स्थित एक गोरा कब्रिस्तान की, जहां शाम होते ही 168 साल पुराना इलाका पूरी तरह बंद हो जाता है. आखिर ऐसा क्या है कि लोग यहां जाने से खौफ खाते हैं.

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Yashodhan.Sharma
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Prayagraj Gora cemetery

Prayagraj Gora cemetery Photograph: (Social)

Prayagraj: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज से लगभग 13 किलोमीटर दूर स्थित बैरहना इलाके में एक ऐतिहासिक और रहस्यमयी कब्रिस्तान है, जिसे 'गोरा कब्रिस्तान' के नाम से जाना जाता है. यह कब्रिस्तान करीब 168 साल पुराना है और कहा जाता है कि यहां 600 से ज्यादा ब्रिटिश अफसरों की कब्रें मौजूद हैं. इस कब्रिस्तान की बनावट, नक्काशी और गॉथिक शैली की वास्तुकला इसे विशेष बनाती है.

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दिन में तो यह जगह दर्शकों के लिए खुली रहती है, लेकिन जैसे ही शाम के छह बजते हैं, यहां आम लोगों की एंट्री पर रोक लग जाती है. सरकार ने इस कब्रिस्तान की सुरक्षा का जिम्मा अपने हाथों में ले रखा है. इसके शाम को बंद होने के पीछे एक ऐसी कहानी है, जिसने लोगों के मन में डर बैठा दिया है.

नकाबपोश औरत और रहस्यमयी मौतें

जुलाई 2015 की एक घटना ने इस कब्रिस्तान के आसपास की रहस्यमयी कहानियों को और पुख्ता कर दिया. कीडगंज थाना क्षेत्र निवासी 24 वर्षीय युवक रुपेश की अचानक मौत हो गई. उसके पिता मूलचंद का दावा है कि यह कोई सामान्य मौत नहीं थी, बल्कि इसका संबंध गोरा कब्रिस्तान से है.

मूलचंद के अनुसार, शादी से लौटते समय रुपेश ने कब्रिस्तान के पास एक नकाबपोश लड़की को स्कूटर पर लिफ्ट दी थी. लड़की कब्रिस्तान के पास उतर गई और जाते-जाते अपना चेहरा दिखा गई. इसके बाद से रुपेश की तबीयत बिगड़ती चली गई और अगले 24 घंटे में उसकी मौत हो गई.

पुलिस ने की मामले की जांच

स्थानीय लोगों का कहना है कि अब तक ऐसी घटनाओं में चार लोग प्रभावित हो चुके हैं, जिनमें से एक की मौत हो चुकी है. लोग दावा करते हैं कि रात में एक नकाबपोश औरत इस इलाके में लिफ्ट मांगती है और फिर चेहरा दिखाकर लोगों को बीमार कर देती है. हालांकि, पुलिस जांच में कुछ भी साबित नहीं हो सका. न्यूज नेशन भी इस कहानी की पुष्टि नहीं करता है.

इतिहास में छिपे हैं कई राज

इलाहाबाद विश्वविद्यालय के इतिहास प्रोफेसर योगेश्वर तिवारी बताते हैं कि इस कब्रिस्तान में ब्रिटिश अफसरों को महंगे वस्त्रों और गहनों के साथ दफनाया गया था. कब्रों पर महंगी धातुओं के शिलालेख भी लगाए गए थे, जिन्हें आजादी के बाद चोरों ने चुरा लिया. कब्रों की बनावट मुख्य रूप से गॉथिक शैली की है, जिसमें ऊंची मेहराबें, बाइबिल श्लोक और सजावटी नक्काशी शामिल हैं.

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