इस मंदिर में होती है भूत-प्रेतों की पेशी, प्रसाद लाने की नहीं होती है अनुमति

दुनिया में एक ऐसा मंदिर है जहां भूत-प्रेतों की पेशी होती है और स्वयं बाबा अपना फैसला सुनाते हैं. इस मंदिर की मान्यताएं और परंपराएं सदियों पुरानी हैं.

दुनिया में एक ऐसा मंदिर है जहां भूत-प्रेतों की पेशी होती है और स्वयं बाबा अपना फैसला सुनाते हैं. इस मंदिर की मान्यताएं और परंपराएं सदियों पुरानी हैं.

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Nidhi Sharma
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भूत-प्रेतों की पेशी

भूत-प्रेतों की पेशी Photograph: (Social Media and Freepik)

भारत में कई अनोखे मंदिर हैं. जिनकी अपनी मान्यताएं और परंपराएं सदियों पुरानी है. इन मंदिरों में भक्तों की हमेशा लंबी कतारें लगी रहती हैं. ऐसा ही एक मंदिर है जो अपनी अनोखी परंपराओं के लिए जाना जाता है. इस मंदिर की परंपरा इसे बाकी मंदिरों से अलग बनाती है. भक्तों का मानना है कि इस मंदिर में बाबा की पूजा करने से भक्तों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं. दरअसल, इस मंदिर का प्रसाद खाना मना है. आइए आपको बताते हैं कि ऐसा क्यों है. 

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प्रसिद्ध मंदिर

पूरे देश में भगवान राम के सबसे बड़े भक्त बजरंग बली है और उनके कई प्रसिद्ध मंदिर हैं. संकटमोचक हनुमान जी को कई नामों से बुलाया जाता है. मान्यता है कि हनुमानजी की पूजा करने से भक्तों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं. बाबा का सबसे फेमस मंदिरों में से राजस्थान का मेहंदीपुर बालाजी मंदिर है. यह मंदिर राजस्थान के दौसा की दो पहाड़ियों के बीच स्थित है. 

बाल स्वरूप में विराजमान

इस मंदिर में भक्त आते बेशक दुखी होकर है, लेकिन जब जाते हैं तो खुश होकर जाते हैं. मेहंदीपुर बालाजी मंदिर में हनुमान जी अपने बाल स्वरूप में विराजमान हैं. उनके ठीक सामने ही भगवान राम और माता सीता की प्रतिमा स्थापित है. यहां आने वाले भक्तों के लिए एक खास नियम है. इस नियम के मुताबिक, दर्शन से कम से कम एक हफ्ते पहले से भक्तों को प्याज, लहसुन, नॉनवेज, शराब आदि का सेवन बंद कर देना चाहिए.

बाबा के सामने लगाई जाती है अर्जी

दरअसल, इस मंदिर में भूत-प्रेतों से छुटकारा पाने के लिए भक्त बालाजी महाराज के सामने अर्जी लगाते हैं. यहां भूत-प्रेतों की पेशी होती है और फैसला स्वयं बालाजी महाराज सुनाते हैं. मंदिर के पास पहुंचते ही मौजूद लोग अपनी प्रेत हरकतें शुरू कर देते हैं. बाबा उस प्रेत को पकड़ लेते हैं, जिसके बाद वो खुद ही मंदिर की ओर बढ़ने लगता है. यहां बालाजी महाराज के अलावा प्रेतराज सरकार, काली माता और भैरो बाबा की पूजा होती है.  

घर क्यों नहीं लाना चाहिए प्रसाद

मेहंदीपुर बालाजी मंदिर का एक और नियम है. मान्यता है कि यहां के प्रसाद को न तो खाया जा सकता है और न ही किसी को दिया जा सकता है. इसके अलावा प्रसाद को घर भी नहीं लाया जा सकता है. प्रसाद को मंदिर में ही चढ़ाया जाता है. इस मंदिर से कोई भी खाने-पीने की चीज या सुगंधित चीज को अपने घर नहीं ला सकते हैं. अगर ऐसा करते हैं, तो ऊपरी साया आप पर आ जाता है. 

इन बातों का रखें ध्यान 

बालाजी मंदिर से बाहर निकलते समय पीछे मुड़कर नहीं देखना चाहिए. ऐसा माना जाता है कि ऐसा करने से नकारात्मक ऊर्जा फिर से पीछा कर सकती है.

 जितनी देर आप मंदिर के अंदर है किसी से भी बातचीत ना करें.

मंदिर में अक्सर आप देखेंगे कि कुछ लोग असामान्य व्यवहार कर रहे होते हैं. ऐसे लोगों को देखकर हंसे नहीं और साथ ही इनसे एक सुरक्षित दूरी बनाकर रखें.

 बालाजी का दर्शन करने के बाद श्रद्धालुओं को श्री राम और सीता मां के दर्शन जरूर करने चाहिए. ऐसी मान्यता है कि उनके दर्शन के बाद ही बालाजी के दर्शन सफल माना जाते हैं.

यहां पूजा विशेष मंत्रों और पुरानी परंपराओं के अनुसार की जाती है. इसलिए बिना जानकारी के कोई अनुष्ठान न करें.

दर्शन करने के बाद ज्यादा देर तक मंदिर या इसके आसपास नहीं रुकना चाहिए और सीधे अपने डेस्टिनेशन की ओर लौट जाना चाहिए.

बालाजी मंदिर से लौटने के बाद कुछ दिनों तक लहसुन-प्याज और नॉनवेज से दूरी बनाकर रखनी चाहिए. यहां तक कि यहां आते समय भी ऐसी किसी चीज का सेवन नहीं करना चाहिए.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)

 

 

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