Mirzapur Jungle Mela: मिर्जापुर के जंगल में लगा अनोखा मेला, भूत-प्रेत से मुक्ति और मुराद पूरी करने का है ये धाम

Mirzapur Jungle Mela: जो लोग भूत-प्रेत बाधा में मानते हैं वो मिर्जापुर के इस जंगल में लगने वाले मेले में जाते हैं. इस अनोखे मेले का धार्मिक महत्व क्या है आइए सब जानते हैं.

Mirzapur Jungle Mela: जो लोग भूत-प्रेत बाधा में मानते हैं वो मिर्जापुर के इस जंगल में लगने वाले मेले में जाते हैं. इस अनोखे मेले का धार्मिक महत्व क्या है आइए सब जानते हैं.

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Inna Khosla
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Mirzapur Jungal Mela

Mirzapur Jungal Mela

Mirzapur Jungle Mela: उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले में पहाड़ों और घने जंगलों के बीच माहौल गांव बसा है. इस स्थान पर हर साल एक अनोखा मेला लगता है, जो भूत-प्रेत और अन्य अदृश्य शक्तियों से मुक्ति के लिए प्रसिद्ध है. इस मेले में सिर्फ उत्तर प्रदेश से ही नहीं, बल्कि देश के अन्य हिस्सों से भी लोग अपनी मुराद पूरी करने और दुखों से मुक्ति पाने के लिए आते हैं. मिर्जापुर के अहरौरा क्षेत्र के माहौल गांव में बेचू वीर बाबा के धाम पर हर वर्ष कार्तिक मास में यह मेला लगता है. मान्यता है कि यहां दर्शन करने से निःसंतान दंपति को संतान सुख मिलता है और रोग-व्याधि से भी मुक्ति मिलती है. भक्तों का विश्वास है कि पांच साल तक लगातार बाबा के दर्शन और पूजा करने से हर मनोकामना पूरी होती है.

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भूत-प्रेत और चुड़ैल से मुक्ति दिलाने वाला मेला

भूतों की उपस्थिति को लेकर यहां के मेले की खासी प्रसिद्धि है. लोग यहां भूत, डायन और चुड़ैल जैसी अदृश्य शक्तियों से मुक्ति पाने के लिए (bhoot pret se chutkara) आते हैं. मेले के मुख्य पुजारी, जो खुद को बाबा बेचू वीर का वंशज बताते हैं, का कहना है कि बाबा के दरबार में पहली बार आने वाले भक्तों को पास की भक्सी नदी में स्नान कर अपने पुराने कपड़े छोड़ने होते हैं और नए वस्त्र पहनकर ही धाम में प्रवेश करना होता है.

चार सौ साल पुरानी मान्यता

यह मेला पिछले लगभग साढ़े चार सौ वर्षों से आयोजित हो रहा है. यहां के लोग बताते हैं कि बाबा के आशीर्वाद से उनकी सारी समस्याएं हल हो जाती हैं. यह मेला तीन दिन तक चलता है जिसमें हजारों भक्त आते हैं और अपनी मुराद पूरी होने पर धाम में श्रद्धा और भक्ति के साथ गाजे-बाजे के साथ आते हैं.

बारह गांवों का मेला

तीन दिनों के इस मेले में लाखों की संख्या में लोग आते हैं. जंगल के बीच इस गांव में लोग अस्थायी घर बना कर ठहरते हैं ताकि उन्हें भूत-प्रेत से छुटकारा मिल सके. यहां तक कि गांव के आसपास की भूमि पर भी अस्थायी झोपड़ियां और टेंट लगाए जाते हैं, जहां लोग अपनी समस्या के समाधान की कामना के साथ दिन-रात रुकते हैं.

बरहिया माता की समाधि

बरही गांव में ही बाबा बेचूबीर की पत्नी बरहिया माता की समाधि भी स्थित है. कथा के अनुसार, जब बेचूवीर बाबा घायल अवस्था में थे, तब यह सूचना उनकी पत्नी तक पहुंची. अपने पति के निधन की खबर सुनकर उन्होंने सती हो जाने का निर्णय लिया और अब उनकी समाधि भी एक श्रद्धा स्थल बन चुकी है जहां लाखों लोग दर्शन के लिए आते हैं.

इस मेले में भक्तों की भीड़ में अनेक लोग अपनी समस्याओं के समाधान के लिए आते हैं. किसी को भूत का साया बताया जाता है, तो कोई अपने परिजनों की बीमारी से छुटकारा पाने के लिए आता है. यहां आने वाले अधिकांश भक्तों का कहना है कि बाबा की कृपा से उन्हें मनचाहा फल प्राप्त होता है. मिर्जापुर के माहौल गांव में बेचू वीर बाबा के मेले की यह अनोखी दास्तान हर साल लाखों लोगों को अपनी ओर खींच लाती है. जहां उन्हें आध्यात्मिक शांति और समस्याओं से मुक्ति की आस दिखाई देती है.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)

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