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UP News:उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले से एक बड़ी खबर सामने आई है. देश के गिनती के बचे हुए जल्लादों में शामिल पवन जल्लाद ने सरकार से अपना मानदेय बढ़ाने की गुहार लगाई है. पवन वही जल्लाद हैं, जिन्होंने निर्भया गैंगरेप केस के चार दोषियों को फांसी पर लटकाया था. उन्होंने कहा है कि उन्हें सरकार की ओर से सिर्फ 10 हजार रुपये मानदेय के रूप में मिलते हैं, जिससे उनका गुजारा मुश्किल हो गया है.
पवन जल्लाद ने जेल अधीक्षक को लिखा पत्र
पवन ने इस संबंध में मेरठ जिला कारागार के जेल अधीक्षक वीरेश राज शर्मा को एक पत्र लिखा है. पत्र में उन्होंने मांग की है कि उन्हें मिलने वाली मानदेय राशि को 25 हजार रुपये प्रति माह कर दिया जाए. जेल अधीक्षक ने बताया कि यह आवेदन उच्च अधिकारियों तक भेज दिया गया है, और अब सरकार के फैसले का इंतजार है.
पवन जल्लाद का कहना है कि उन्होंने 20 मार्च 2020 को निर्भया केस के चारों गुनहगारों को तिहाड़ जेल में फांसी दी थी. इसके बाद से देश में किसी को भी फांसी नहीं दी गई है, हालांकि कई मामलों में फांसी की सजा सुनाई गई है. वे बताते हैं कि पिछले 5 सालों से कोई फांसी नहीं हुई, लेकिन वे आज भी मेरठ जेल में रोज हाजिरी लगाते हैं.
आर्थिक तंगी से जूझ रहे पवन
आर्थिक तंगी से परेशान पवन ने कहा कि 10 हजार रुपये में परिवार का गुजारा करना बहुत कठिन हो गया है. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से गुहार लगाई है कि उनका मानदेय बढ़ाया जाए ताकि वे सम्मानजनक जीवन जी सकें. अब उम्मीद है कि सरकार उनकी इस कठिन जिंदगी में कुछ राहत देगी.
पवन ने फांसी की प्रक्रिया के बारे में भी बताया. उन्होंने कहा कि जब किसी दोषी को फांसी दी जाती है तो 15 मिनट के भीतर उसका शरीर ठंडा पड़ जाता है, और करीब 30 मिनट बाद डॉक्टर हार्टबीट जांचकर मौत की पुष्टि करते हैं. पवन का कहना है कि फांसी सबसे उचित दंड है, क्योंकि इससे समाज में कड़ा संदेश जाता है कि जघन्य अपराध करने वालों को सजा जरूर मिलती है.
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