वैक्सीन की कमी पर मायावती ने जताई चिंता, कहा- भारत की स्थिति काफी भयावह
देश में वैक्सीन की भारी किल्लत होने के कारण कई राज्यों में वैक्सीनेशन काफी कम हो रहा है. इस बीच इस बीच बहुजन समाज पार्टी (BSP) सुप्रीमो मायावती (Mayawati) ने देश में जारी कोरोना टीकाकरण कार्यक्रम पर चिंता जताई.
highlights
- वैक्सीन की कमी से देश के हालात काफी खराब हैं- मायावती
- मायावती ने केन्द्र व राज्य सरकारों से अपील की
नई दिल्ली:
कोरोना वायरस की दूसरी लहर (Corona 2nd Wave) देश में थोड़ी धीमी पड़ने लगी है. दूसरी लहर के बीच वैक्सीनेशन (Vaccination) का काम भी जारी है. इस चरण में 18 साल से ऊपर आयु के लोगों को वैक्सीन लगानी है लेकिन देश में वैक्सीन की भारी किल्लत होने के कारण कई राज्यों में वैक्सीनेशन काफी कम हो रहा है. इस बीच इस बीच बहुजन समाज पार्टी (BSP) सुप्रीमो मायावती (Mayawati) ने देश में जारी कोरोना टीकाकरण कार्यक्रम पर चिंता जताई. उन्होंने कहा कि दुनिया के मुकाबले भारत में जो स्थिति है वह काफी भयावह है.
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मायावती ने कहा कि कोरोना वायरस महामारी से निपटने के लिए देश भर में टीकाकरण अभियान की शुरुआत हुई. लेकिन आज हालात ऐसे हो गए हैं कि देश के कई राज्यों में वैक्सीन की किल्लत के कारण टीकाकरण की रफ्तार में कमी देखी जा रही है. उन्होंने ट्विटर पर लिखा कि दुनिया के मुकाबले में भारत में टीकाकरण (vaccination) की जो स्थिति है वह काफी भयावह है. उन्होंने कहा कि केन्द्र व सभी राज्य सरकारें इस ओर जरूर ध्यान दें.
सीरम इंस्टीट्यूट की आई ये प्रतिकिया
टीकाकरण में आ रही कमी का एक मुख्य कारण टीकों की कमी भी है. ऐसे में दुनिया की सबसे बड़ी टीका निर्माता कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने इस मामले में अपनी प्रतिकिया दी है.सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के कार्यकारी निदेशक सुरेश जाधव ने इस पूरे मामले को लेकर केंद्र सरकार को दोष दिया है. कंपनी के कार्यकारी निदेशक का कहना है कि सरकार ने टीकों के स्टॉक का आकलन किए बिना ही देश में विभिन्न आयु वर्ग के लोगों को टीकाकरण शुरु कर दिया जिसके कारण ये परेशानी सामने आकर खड़ी हो गई है.
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'सरकार ने जल्दबाजी में कदम उठाया'
उन्होंने कहा कि देश को डब्ल्यूएचओ की गाइडलाइंस का पालन करना चाहिए और वैक्सीन की प्राथमिकता उस हिसाब से होनी चाहिए. उन्होंने कहा, पहले लक्ष्य के मुताबिक 30 करोड़ लोगों को टीका दिया जाना था, जिसके लिए 60 करोड़ डोज की आवश्यकता थी, लेकिन हमारे इस लक्ष्य तक पहुंचने से पहले ही सरकार ने पहले 45 साल से ऊपर के और फिर 18 साल से अधिक उम्र के सभी लोगों के लिए वैक्सीनेशन के दरवाजे खोल दिए.
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