प्रयागराज के संगम तट पर चल रहे महाकुंभ के दौरान सनातन धर्म के ध्वजवाहक अखाड़ों और संप्रदायों के बाद अब शंकराचार्यों और अखाड़ों के आचार्य महामंडलेश्वर का छावनी प्रवेश भी शुरू हो गया है. इसी कड़ी में आज निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर और देश के प्रमुख संतों में से एक स्वामी कैलाशानंद जी महाराज ने छावनी प्रवेश किया.
स्वामी कैलाशानंद के छावनी प्रवेश के लिए नगर से भव्य शोभा यात्रा निकाली गई. इस शोभा यात्रा में जिसमें भारतीय संस्कृति और सनातन परंपरा की झलक देखने को मिली. आचार्य महामंडलेश्वर के स्वागत के लिए शहरभर के भक्तों, अनुयायियों और सनातनियों ने स्वागत की तैयारी की थी. यात्रा के दौरान लोग खुशी से झूमते हुए उनका स्वागत कर रहे थे और फूलों से आचार्य महामंडलेश्वर, मंडलेश्वरों, संत महंत और नागा संन्यासियों का अभिनंदन कर रहे थे.
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देश के प्रमुख संतों के छावनी प्रवेश का सिलसिला शुरू
महाकुंभ में अखाड़ों के प्रवेश के बाद अब चारों पीठों के शंकराचार्यों, आचार्य महामंडलेश्वरों और देश के प्रमुख संतों के छावनी प्रवेश का सिलसिला शुरू हो चुका है. स्वामी कैलाशानंद सरस्वती की प्रवेश मंगलम यात्रा शहर के केपी कॉलेज से शुरू होकर रामबाग फ्लाई ओवर को पार कर कीडगंज मोहल्ले से होती हुई मेला क्षेत्र में प्रवेश कर गई.
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500 से ज्यादा साधु-संत शामिल
प्रयागराज महाकुंभ में श्री पंचायती नया उदासीन अखाड़े की पेशवाई (छावनी प्रवेश) भव्यता के साथ निकाली जा रही है. झांकी में शिव के रूप में कलाकार ने गले में अजगर लपेट रखा है. नरमुंड की माला पहन रखी है इसमें 500 से ज्यादा साधु-संत शामिल हैं जो शिव आराधना के साथ गुरुबाणी का पाठ करते हुए चल रहे हैं. उनकी इस पेशवाई के दौरान जगह-जगह फूल बरसा कर साधु-संतों का स्वागत किया जा रहा था और लोग साधुओं के साथ सेल्फी ले रहे हैं. महाकुंभ मेला क्षेत्र में प्रवेश करने के बाद संत संगम की रेती पर जप-तप करेंगे. 13 जनवरी से शुरू हो रहे महाकुंभ में करीब 40 करोड़ लोग आएंगे.