Mahakumbh 2025: दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक और आध्यात्मिक समागम महाकुंभ (Mahakumbh 2025) के शुरू होने में एक सप्ताह शेष है. बावजूद इसके रविवार से ही यहां पर्यटक इसकी एक झलक पाने के लिए संगम समेत गंगा के तटों पर उमड़ने लगे हैं. छुट्टी के दिन बड़ी संख्या में स्थानीय लोग अपने परिवारों के साथ साधु-संतों, अखाड़ों के शिविरों और संगम पर पवित्र डुबकी लगाने और अनुष्ठान करने का पुण्य कमाने पहुंचे.
आकर्षण का केंद्र बन रहे ऊंट
ऐसे में घाटों पर बढ़ी हुई सुविधाओं ने भी टूरिस्टों के लिए मौज-मस्ती जैसा माहौल तैयार कर दिया है. अनुभव को और बढ़ाते हुए किला घाट से संगम नोज तक ऊंट की सवारी एक लोकप्रिय आकर्षण बन गई है. यहां राजस्थान के जैसलमेर से खास तौर पर लाए गए ये ऊंट बच्चों के बीच खास आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं.
ऊटों के रखे नाम
खूबसूरती से सजे इन ऊंटों को उनके मालिकों ने रामू , घनश्याम और राधेश्याम जैसे आकर्षक नाम दिए हैं. रविवार को पवित्र स्थल पर पवित्र स्नान करने के लिए परिवारों सहित बड़ी संख्या में लोग उमड़ पड़े, जबकि घाटों पर आगामी महाकुंभ की तैयारियां भी जारी रहीं. खाने-पीने की दुकानों पर चहल-पहल रही और नदी किनारे की सड़कों पर ऊंट और नाव की सवारी आकर्षण का केंद्र बन गई.
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सवारी के लिए देना होगा ये शुल्क
राजस्थान की विरासत के पर्याय इन ऊंटों को बड़े करीने से सजाया गया है और सवारों के आराम को सुनिश्चित करने के लिए गद्देदार सीटों से सुसज्जित किया गया है. महिलाओं और बच्चों ने, विशेष रूप से, पिकनिक जैसी अनूठी ऊंट की सवारी का आनंद लिया, जो उत्सव के माहौल में एक रमणीय वृद्धि बन गई है. ऊंटों के रखवाले ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि ये ऊंट विशेष रूप से राजस्थान के जैसलमेर से लाए गए थे और प्रतापगढ़ मेले से मंगवाए गए थे. प्रत्येक ऊंट की कीमत 45,000 रुपये से 50,000 रुपये के बीच है. भक्त 50 रुपये से 100 रुपये के मामूली शुल्क पर सवारी का आनंद ले सकते हैं.
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