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Mahakumbh 2025 में क‍िसे है शाही स्‍नान का पहला अध‍िकार, इत‍िहास जानकर चौंक जाएंगे आप

महाकुंभ में स्नान करने से इंसान को मोक्ष मिलता है. इस स्नान को प्रयागराज में त्रिवेणी संगम पर किया जाता है, जिसे शाही स्नान कहा जाता है. तो हम जानते हैं क‍ि आख‍िर शाही स्‍नान है क्‍या? 

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Shyam Sundar Goyal
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Mahakumbh 2025 unique Baba

Mahakumbh 2025 में क‍िसे है शाही स्‍नान का पहला अध‍िकार

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prayagraj mahakumbh 2025: UP के प्रयागराज में maha kumbh 2025 का आगाज हो गया है. maha kumbh mela में अब साधुओं को आना शुरू हो गया है ज‍िसके ल‍िए पेशवाई न‍िकलना शुरू हो गई है. महाकुंभ मेला धर्म, आध्यात्म और संस्कृति का एक बहुत बड़ा आयोजन है जिसमें दुनियाभर से लाखों श्रद्धालु और पर्यटक इसमें शाम‍िल होने आते हैं. यह सभी साधु शाही स्‍नान के ल‍िए दूर-दूर से आते हैं. कहा जाता है कि महाकुंभ में स्नान करने से इंसान को मोक्ष मिलता है. इस स्नान को प्रयागराज में त्रिवेणी संगम पर किया जाता है, जिसे शाही स्नान कहा जाता है. तो हम जानते हैं क‍ि आख‍िर शाही स्‍नान है क्‍या? 

तो हम जानते हैं शाही स्‍नान के बारे में. हालांक‍ि हमारे धार्म‍िक शास्‍त्रों में इसका कोई सीधा उल्‍लेख नहीं है लेक‍िन यह परंपरा अब काफी पुरानी हो गई है.  14वीं से 16वीं सदी के बीच मुस्‍ल‍िम शासन काल में यह परंपरा शुरू हुई मानी जाती है. मुगल काल में जब साधुओं को भारत पर शासन करने वालों में तनाव बढ़ा तो उनके बीच एक बैठक हुई. उस बैठक में यह तय हआ क‍ि धर्म का सम्‍मान करने का वादा क‍िया और उसको न‍िभाया भी. 

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पेशवाई में होते हैं शाही ठाठ बाट 

साधुओं को सम्मानित करने के लिए कुंभ मेले में पेशवाई  न‍िकाली गई जो एक तरह से रथ यात्रा जैसी होती है. इसमें साधु हाथी और घोड़ों पर बैठकर अपने ठाठ बाट के साथ स्नान के लिए जाते थे. इस कारण इस स्नान को शाही स्नान कहा जाने लगा और  यह परंपरा आज भी चली आ रही है.

सोने-चांदी की पालकियों में बैठकर होती है पेशवाई

कुम्भ मेला में जब शाही स्‍नान होता है तो सबकुछ शाही जैसा ही होता है. साधु सोने-चांदी की पालकियों में बैठकर पेशवाई निकालते हैं. पेशवाई का मतलब है एक प्रकार की धार्मिक यात्रा होती है जिसमें साधु संगम तक पहुंचने के लिए जयकारे लगाते हुए जाते हैं. यह यात्रा बहुत ही भव्य होती है. इसके बाद सब साधु शुभ मुहूर्त में संगम में स्नान करते हैं. गंगा के पानी में स्नान को अमृत प्राप्त करने जैसा माना जाता है, जो शरीर और आत्मा को शुद्ध करता है. 

सबसे पहले नागा साधु करते हैं स्‍नान 

सब साधुओं में सबसे व‍िशेष समूह नागा साधु का होता है. नागा साधु खाास तरह से तपस्‍या करते हैं और यह महायोद्धा कहलाते हैं. यह नग्‍न अवस्‍था में रहते हैं और शरीर में भस्‍म लगाते हैं. नागा साधु समाज की रक्षा के ल‍िए तत्‍पर रहते हैं और उसे बचाने के ल‍िए युद्ध भी करते हैं. इन्‍हें ही महाकुंभ में सबसे पहले स्‍नान का अध‍िकार होता है. शाही स्नान का समय और दिन पहले से तय होता है और इसे पूरी प्रक‍िया और सम्‍मान के साथ न‍िभाया जाता है.

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