UP में कृषि श्रमिकों के लिए नई न्यूनतम मजदूरी दरें लागू, अब हर दिन मिलेंगे इतने रुपये

Lucknow: जानकारी के मुताबिक जुताई, बुवाई, फसल उगाना, कटाई, विपणन की तैयारी, भंडारण, मंडी तक ले जाना और मंडी में वितरण जैसे तमाम कार्यों की गिनती अब कृषि श्रमिक श्रेणी में होगी.

Lucknow: जानकारी के मुताबिक जुताई, बुवाई, फसल उगाना, कटाई, विपणन की तैयारी, भंडारण, मंडी तक ले जाना और मंडी में वितरण जैसे तमाम कार्यों की गिनती अब कृषि श्रमिक श्रेणी में होगी.

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Yashodhan.Sharma
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agricultural labourers Photograph: (social)

Lucknow News: उत्तर प्रदेश सरकार ने कृषि क्षेत्र में कार्यरत वयस्क श्रमिकों के लिए नई न्यूनतम मजदूरी दरों को लागू कर दिया है. अब इन श्रमिकों को ₹252 प्रतिदिन अथवा ₹6552 प्रतिमाह की दर से मजदूरी दी जाएगी. यह फैसला राज्य के लाखों खेतिहर मजदूरों को आर्थिक सुरक्षा देने और पारदर्शिता लाने के उद्देश्य से लिया गया है.

मौजूदा दरों से बेहतर भुगतान बना रहेगा प्रभावी

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श्रम व सेवायोजन विभाग के प्रमुख सचिव डॉ. एमके शन्मुगा सुन्दरम ने जानकारी दी कि यदि किसी स्थान पर पहले से मजदूरी की दरें इस अधिसूचना से अधिक हैं, तो वे दरें यथावत रहेंगी और उन्हें ही न्यूनतम मजदूरी दर माना जाएगा. इससे उन श्रमिकों को लाभ मिलेगा जो पहले से बेहतर मजदूरी पा रहे हैं.

मजदूरी का भुगतान नकद या कृषि उपज में भी संभव

नए प्रावधान के अनुसार, मजदूरी का भुगतान आंशिक रूप से नकद और आंशिक रूप से कृषि उपज के रूप में किया जा सकता है, लेकिन यह आवश्यक होगा कि कुल मजदूरी किसी भी हाल में न्यूनतम दर से कम न हो. साथ ही, भुगतान डिजिटल माध्यम से भी किया जा सकता है, जिससे पारदर्शिता और ट्रैकिंग में सुविधा होगी.

प्रति घंटे मजदूरी दर भी तय

नई अधिसूचना में यह भी स्पष्ट किया गया है कि प्रति घंटे मजदूरी दर, दैनिक मजदूरी की 1/6 भाग से कम नहीं होनी चाहिए. किसी भी स्थिति में मजदूरी की यह गणना कर्मचारी के हितों के विरुद्ध नहीं होनी चाहिए.

कृषि से जुड़े सभी कार्यों को मिली मान्यता

जुताई, बुवाई, फसल उगाना, कटाई, विपणन की तैयारी, भंडारण, मंडी तक ले जाना और मंडी में वितरण जैसे तमाम कार्य अब कृषि श्रमिक श्रेणी में गिने जाएंगे. साथ ही मशरूम उत्पादन, वानिकी, काष्ठ शिल्प, दुग्ध उत्पादन, पशुपालन, मधुमक्खी पालन और कुक्कुट पालन जैसे कार्य भी तभी मान्य होंगे जब ये मुख्य कृषि कार्यों के साथ-साथ किए जाएं.

यह कदम न केवल श्रमिकों को आर्थिक स्थायित्व देगा, बल्कि खेतिहर मजदूरी के क्षेत्र में भुगतान प्रणाली को पारदर्शी और संगठित बनाने की दिशा में भी मील का पत्थर साबित होगा.

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