कारसेवा में शहीद कोठारी बंधु के परिजनों को राम मंदिर भूमि पूजन के लिए भेजा निमंत्रण

कारसेवा में शहीद हुए कोठारी बंधु के परिजनों को भूमि पूजन के लिए निमंत्रण भेजा गया है. कारसेवा में शहीद हुए कुछ और लोगों के परिजनों को भी भूमि पूजन कार्यक्रम में बुलाया जा सकता है.

कारसेवा में शहीद हुए कोठारी बंधु के परिजनों को भूमि पूजन के लिए निमंत्रण भेजा गया है. कारसेवा में शहीद हुए कुछ और लोगों के परिजनों को भी भूमि पूजन कार्यक्रम में बुलाया जा सकता है.

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Sushil Kumar
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प्रतीकात्मक फोटो( Photo Credit : फाइल फोटो)

कारसेवा में शहीद हुए कोठारी बंधु के परिजनों को भूमि पूजन के लिए निमंत्रण भेजा गया है. कारसेवा में शहीद हुए कुछ और लोगों के परिजनों को भी भूमि पूजन कार्यक्रम में बुलाया जा सकता है. राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन 5 अगस्त को है. समारोह में पीएम मोदी भी शामिल हो रहे हैं. वहीं मुरली मनोहर जोशी, लाल कृष्ण आडवाणी, उमा भारती समेत 157 लोग भूमि पूजन में शामिल हो रहे हैं. जोर-शोर से तैयारी चल रही है. 5 तारीख को पूरे देश में दीपावली की तरह दीये जलाए जलाएंगे. वहीं भूमि पूजन के अवसर पर अमेरिका में ऑनलाइन प्रार्थना की जाएगी.

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लालकृष्ण आडवाणी ने राम मंदिर निर्माण के लिए रथ यात्रा की घोषणा की थी 

भाजपा ने राम मंदिर आंदोलन को उस वक्त हवा दी थी और मतदाताओं को अपनी तरफ करने के लिए लालकृष्ण आडवाणी ने राम मंदिर निर्माण के लिए रथ यात्रा की घोषणा कर दी थी. यह यात्रा 15 सितंबर 1990 को गुजरात के सोमनाथ मंदिर से शुरू की गई थी. इस यात्रा को अगले 45 दिनों तक देश के अलग-अलग कोने से होते हुए 30 अक्‍टूबर को अयोध्‍या पहुंचना था. मंदिर आंदोलन का समर्थन करने के लिए आडवाणी ने फैसला किया था कि वह प्रतिदिन 300 किलोमीटर की यात्रा करेंगे. राम और शरद कोठारी नियमित रूप से बुराबार की राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की शाखा में जाया करते थे.

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पुलिस बल ने उन पर अंधाधुंध गोलीबारी शुरू कर दी

22 और 20 साल की उम्र के इन दोनों भाइयों ने आरएसएस की तीन साल की होने वाली ट्रेनिंग के दो साल बहुत ही बेहतरीन तरीके से पूरे किए थे. कई आरएसएस कार्यकर्ताओं की तरह ही राम और शरद ने भी विहिप के कारसेवकों के तरह ही अयोध्‍या में राममंदिर के निर्माण में अपनी सेवा देने का फैसला किया. 20 अक्‍टूबर 1990 को उन्‍होंने अपने पिता हीरालाल कोठारी को अयोध्‍या यात्रा की योजना के बारे में बताया. कार्तिक पूर्णिमा को दिन कारसेवक हनुमानगढ़ी के पास इकट्ठा हुए और उन्‍होंने विवादित ढांचे को दूर हटाने का फैसला किया. "राम और शरद कोठारी के नेतृत्व में हनुमानगढ़ी में सैकड़ों कार सेवक इकट्ठे हुए, तब पुलिस बल ने उन पर अंधाधुंध गोलीबारी शुरू कर दी.

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खुशी से मौत का गले लगा लिया

राम और शरद कोठारी की बहन पूर्णिमा कोठारी ने बताया कि मेरे भाइयों ने मातृभूमि के लिए अपने जीवन का बलिदान किया. राम लल्ला के लिए उन्होंने खुशी से मौत का गले लगा लिया. लेकिन दुर्भाग्य से इतने सालों में लोग हमें भूल गए. राम मंदिर निर्माण के लिए उनके परिजनों को निमंत्रण दिया है. उनके परिजन भूमि पूजन में शामिल होंगे. 

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