सालों की मेहनत से पैदा की लाल भिंडी, शुगर और दिल की बीमारी के लिए बेहद लाभकारी
वाराणसी के भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान ने 8 साल की मेहनत के बाद आखिरकार भिंडी की नई प्रजाति ‘काशी लालिमा’ विकसित करने में सफलता पा ली है.
वाराणसी:
वाराणसी के भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान ने 8 साल की मेहनत के बाद आखिरकार भिंडी की नई प्रजाति ‘काशी लालिमा’ विकसित करने में सफलता पा ली है. लाल रंग की यह भिंडी एंटी ऑक्सीडेंट, आयरन और कैल्शियम सहित अन्य पोषक तत्वों से भरपूर है. खास बात तो ये है कि ये भिंडी गर्भवती महिलाओं के लिए और शुगर और दिल की बीमारियों के लिए सबसे ज्यादा स्वास्थ वर्धक है. वाराणसी के सब्जी अनुसंधान में इस लाल भिंडी की फसल लहरा रही है.
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हरी सब्जिया अब धीरे-धीरे लाल होती जा रही है और वाराणसी के भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान ने हरी भिंडी को लाल कर दिखाया है. सिर्फ रंग ही नहीं, इसके साथ बहुत कुछ बदला है. इस भिंडी में वो सभी पोषक तत्त्व हैं जोकि हरी भिंडी में नहीं है और इसे बोना और सब्जी के रूप में फसल खिलाना भी बेहद आसान है. जायके के साथ ये अपने साथ आयरन और कैल्शियम सहित अन्य पोषक तत्वों को भी लेकर आया है.
भारत में हरी भिंडी ही प्रचलन में है. लाल रंग की भिंडी पश्चिमी देशों में मिलती है और भारत भी वहीं से अपने उपयोग के लिए मंगाता है. लेकिन देश में इसकी किस्म विकसित हो जाने के बाद इसे आयात करने की जरूरत नहीं पड़ेगी. अब भारतीय किसान भी इसका उत्पादन कर सकेंगे. भारतीय सब्जी अनुसंधान के तकनीकी विशेषज्ञ मानते हैं कि किसानों को इससे बहुत फायदा होगा. इस लाल भिंडी के रंग और खूबियों के चलते बाजार में इसके दाम हरी भिंडी की तुलना में दोगुना मिलेंगे, जबकि किसानों को मेहनत खेत में उतनी ही करनी होगी.
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भारतीय सब्जी अनुसंधान के डायरेक्टर जगदीश सिंह ने लाल भिंडी के बारे में बताया की सबसे पहले 1983 में अमेरिका में इस लाल भिड़ी की पैदावार हुई, पर भारत में ये पैदा नहीं हो पाया. इसके बाद 1995 से भिंडी की नयी प्रजाति पर रिसर्च चल रहा था और पिछले 8 से 9 वर्षों में हमने लाल भिंडी पर विशेष ध्यान दिया और इसे विकसित किया. ये लाल भिंडी एंटी आक्सीडेंट से भरपूर है जिसके जरिये ह्रदय रोग, डाईबेटिस, मोटापा सभी रोगों के लिए कारगर है. इसके अलावा विटामिन B- 9 पाया जाता है जो जेनस्टिक ऑडर को दूर करता है.
डायरेक्टर जगदीश सिंह ने बताया कि खास तौर पर गर्भवती महिलाओं के लिए बेहद कारगर होता है. महिलाओं के गर्भ में जो शिशु पलता है, उसके मस्तिष्क के विकास के लिए ये बहुत उपयोगी है. गर्भवती महिलाएं इस लाल भिंडी का सेवन करें तो उनके अंदर जो फोलिक एसिड की कमी है वो दूर हो जाती है. आने वाले समय में शहरी क्षेत्र में इसकी भारी डिमांड होगी और इससे किसानों को भी बेहद लाभ होगा. भारतीय सब्जी अनुसन्धान के डायरेक्टर के अनुसार 130 से 140 क्विंटल प्रति हेक्टेयर ये उपज देती है.
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दूसरी तरफ जो किसान इस लाल भिंडी को देखने सब्जी अनुसंधान केंद्र में आ रहे हैं, वो इसकी फसल को देखकर बेहद उत्साहित हैं. उन्हें लगता है ये भिंडी पोषक तत्वों से भरपूर होने के साथ-साथ देखने में भी आकर्षक है. ऐसे में इसकी पैदावार जब वो करेंगे तो उन्हें काफी मुनाफा होगा.
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