खून की कमी से जूझ रहे दिल्‍ली के 70% बच्‍चे, उत्‍तर प्रदेश के 49 फीसद बच्‍चों में ठिगनापन

इंडिया स्टेट-लेवल डिजीज बर्डन इनिशिएटिव के तहत किया गया यह अध्ययन प्रसिद्ध मेडिकल जर्नल लैंसेट में प्रकाशित हुआ है.

इंडिया स्टेट-लेवल डिजीज बर्डन इनिशिएटिव के तहत किया गया यह अध्ययन प्रसिद्ध मेडिकल जर्नल लैंसेट में प्रकाशित हुआ है.

author-image
Drigraj Madheshia
New Update
खून की कमी से जूझ रहे दिल्‍ली के 70% बच्‍चे, उत्‍तर प्रदेश के 49 फीसद बच्‍चों में ठिगनापन

प्रतीकात्‍मक चित्र

भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद् (ICMR) की रिपोर्ट चौंकाने वाली है. देश के सबसे बडे़ राज्‍य उत्‍तर प्रदेश (Uttarpradesh) करीब आधे बच्‍चे ठिगनेपन के शिकार हैं. वहीं राजधानी दिल्‍ली (Delhi) के बच्‍चे खून की कमी से जूझ रहे हैं. खून की कमी के मामले में हरियाणा (Haryana)के बच्‍चों की सेहत सबसे ज्‍यादा नासाज है. पांच वर्ष तक के बच्चों की कुपोषण (Malnutrition) से मृत्यु की दर में 1990 के मुकाबले 2017 में दो तिहाई की कमी आई है.

Advertisment
राज्यवार कुपोषण (Malnutrition) (आंकडे़ 2017, प्रतिशत में)
राज्य कम वजन ठिगनापन मोटापा खून की कमी
यूपी 24.2 49 13 66.7
बिहार 23.4 48.3 14.5 65.3
झारखंड 20.2 45.7 19 72.1
उत्तराखंड 22.6 32.4 11.1 62.5
दिल्ली 23.1 32.3 13.8 70.3

इंडिया स्टेट-लेवल डिजीज बर्डन इनिशिएटिव के तहत किया गया यह अध्ययन प्रसिद्ध मेडिकल जर्नल लैंसेट में प्रकाशित हुआ है.रिपोर्ट के मुताबिक कुपोषण (Malnutrition) सभी आयु वर्ग के लोगों के लिए बड़ा जोखिम है.बच्चों में यह बेहद खतरनाक है.जन्म के समय शिशु का कम वजन मृत्यु के बड़े कारणों में शामिल है.

यह भी पढ़ेंः Google में इन 10 चीजों का किया सर्च तो आपका नुकसान पक्‍का

रिसर्च के मुताबिक, भारत में 2017 में जन्म के समय 21 फीसदी शिशुओं का वजन बहुत कम थे.अगर राज्‍यवार बात करें तो सबसे अधिक उत्‍तर प्रदेश (Uttarpradesh) में ऐसे शिशुओं ने जन्‍म लिया जिनका जन्‍म के समय वजन बहुत कम था. यूपी में ऐसे शिशुओं की संख्‍या 24% थी.छोटे से राज्‍य मिजोरम में यह संख्‍या बहुत कम थी. बहुत कम वजन वाले यहां सबसे कम नौ फीसदी बच्चों ने जन्म लिया.

यह भी पढ़ेंः कहीं आप भी तो नहीं खा रहे चमकीले सेब, मंत्री जी तो बच गए, आप कैसे बचेंगे

भारत में 2017 में बच्चों के ठिगने रहने के मामलों में भी कमी आई. यह आंकड़ा अब 39% रह गया है पर सबसे बड़े राज्‍य यूपी की स्थिति सबसे खराब है.यहां सबसे अधिक 49% बच्चे ठिगनेपन से पीड़ित रहे, जबकि गोवा में यह आंकड़ा सबसे कम 21.3% रहा.

यह भी पढ़ेंःधरती पर आते रहते हैं UFO और एलियन, अमेरिका नौसेना ने की पुष्‍टि, देखें Video

जहां तक बच्‍चों में खून की कमी की बात करें तो देश के 60% बच्चों में खून की कमी मिली.यह आंकड़ा 2017 का है. एथलीटों वाले राज्‍य हरियाणा (Haryana)में खून की कमी से सर्वाधिक 74% बच्चे पीड़ित मिले.

यह भी पढ़ेंःपाकिस्‍तान के ये घुसपैठिए चट कर जा रहे हैं 35000 लोगों का खाना, राजस्‍थान के इतने जिले प्रभावित

कुपोषण (Malnutrition) की स्थिति के आधार पर तीन श्रेणियां लो एसडीआई (सोशियो डेमोग्राफिक इंडेक्स) राज्य, मिडिल व हाई एसडीआई राज्य रखी गई थीं.इसमें हरियाणा, दिल्‍ली (Delhi), उत्तराखंड के अलावा सभी हिन्दी राज्य लो एसडीआई समूह में हैं.हरियाणा (Haryana) मिडिल और उत्तराखंड हाई एसडीआई राज्यों में रहे.

कुपोषण (Malnutrition) के दुष्प्रभाव

  • कुपोषण (Malnutrition) के शिकार बच्चों का वजन नहीं बढ़ता, उनकी ऊंचाई और वजन दोनों आयु के हिसाब से कम होते हैं.साथ ही वे सुस्त व चिड़चिड़े होते हैं.
  • अधिक कुपोषित होने पर बच्चे सुस्त पड़े रहते हैं, उनकी रुचि खेल-कूद में नहीं रहती, वे एक ही जगह पड़े रहना पसंद करते हैं.कुपोषण (Malnutrition) प्राथमिक स्तर पर है तो इसकी रोकथाम की जा सकती है.
  • कुपोषण (Malnutrition) की स्थिति यदि बदतर हो गई है तो इसका इलाज घर पर नहीं हो सकता, अस्पताल में भरती कराना पड़ता है.

सही आहार 

  • तीन साल के बच्चे को दिनभर में 2 कप दूध, डेढ़ से दो कटोरी दाल, 3-4 कटोरी मिला-जुला अनाज 6 से 8 बार खिलाना ठीक रहता है.पानी भी बच्चे को साफ ही देना चाहिए, थोड़ भी शंका होने या कोई संक्रमण होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें.
  • छह या सात माह के बच्चे को माँ के दूध के अलावा दो कटोरी मसला हुआ खाना दिनभर में थोड़ा-थोड़ा कर के खिलाना चाहिए.
  • 8 से 10 माह के बच्चे को माँ के दूध के अलावा 3 कटोरी खाना दिनभर में खिला देना चाहिए.
  • हर मौसम में आने वाले विभिन्न फल या उनका रस बच्चों को दें.ये फल प्रकृतिक ग्लूकोज, विटामिन तथा पौष्टिकता प्रदान करते हैं बच्चों को.

ऐसे होती है कुपोषण की पहचान

1. बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) - इसमें वजन की गणना किलोग्राम में की जाती है, जो कि वर्ग मीटर में ऊंचाई से विभाजित होती है.वयस्कों के लिए स्वस्थ बीएमआई आमतौर पर 18.5 और 24.9 के बीच स्थित है.17 से 18.5 के बीच बीएमआई वाले लोग हल्का कुपोषित हो सकते हैं, जिनके बीएमआई 16 से 18 के बीच होते हैं, वे मध्यम कुपोषित हो सकते हैं और 16 से कम बीएमआई वाले लोग गंभीर रूप से कुपोषित हो सकते हैं.

2. नियमित रक्त परीक्षण - यह एनीमिया और अन्य विटामिन और खनिज की कमी का आकलन करने के लिए किया जाता है.निर्जलीकरण, कम रक्त शर्करा और गंभीर संक्रमण के लक्षण हो सकते हैं, यह रक्त कोशिकाओं की संख्या में वृद्धि के कारण हो सकता है.

3. बच्चों में कुपोषण (Malnutrition) का निदान - बच्चों के वजन और ऊंचाई को मापा जाता है.और उन चार्टों से तुलना की जाती है, जो उस उम्र के बच्चे के लिए अपेक्षित औसत ऊंचाई और वजन दिखाते हैं.कुछ बच्चे उम्र के मुकाबले छोटे लगते हैं.और आनुवंशिक रूप से ऐसा हो सकते हैं.धीमे विकास दिखाने वाले बच्चे भी कुपोषित हो सकते हैं.

Source : दृगराज मद्धेशिया

icmr health news Stumpy
      
Advertisment