नोएडा से आगरा-प्रयागराज तक ढह सकती हैं सैकड़ों इमारतें, यमुना में 17 जिले डूब क्षेत्र घोषित, ये है आधार

यूपी सरकार ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) को दिए हलफनामे में पिछले 100 साल में आई बाढ़ को आधार मानकर यमुना के दोनों किनारों पर डूब क्षेत्र निर्धारित किया है. देखा जाए तो उत्‍तर प्रदेश के 17 जिलों को यमुना नदी का डूब क्षेत्र घोषित किया गया है.

यूपी सरकार ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) को दिए हलफनामे में पिछले 100 साल में आई बाढ़ को आधार मानकर यमुना के दोनों किनारों पर डूब क्षेत्र निर्धारित किया है. देखा जाए तो उत्‍तर प्रदेश के 17 जिलों को यमुना नदी का डूब क्षेत्र घोषित किया गया है.

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Shyam Sundar Goyal
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Yamuna declared submerged area

नोएडा से आगरा-प्रयागराज तक ढह सकती हैं सैकड़ों इमारतें, यमुना में 17 जिले डूब क्षेत्र घोषित, ये है आधार Photograph: (News Nation )

Yamuna submerged area News: यूपी सरकार ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) को दिए हलफनामे में पिछले 100 साल में आई बाढ़ को आधार मानकर यमुना के दोनों किनारों पर डूब क्षेत्र निर्धारित किया है. देखा जाए तो उत्‍तर प्रदेश के 17 जिलों को यमुना नदी का डूब क्षेत्र घोषित किया गया है. इसके बाद अब यमुना नदी के किनारे डूब क्षेत्र में निर्माण नहीं हो सकेंगे. साथ ही जहां पहले से निर्माण हैं, उन्‍हें गिराया जा सकता है. यूपी सरकार ने अपने हलफनामा में नोएडा से लेकर प्रयागराज तक के 17 जिलों को यमुना के डूब क्षेत्र घोषित कर द‍िया है. 

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आगरा में पिछले 100 साल में आई बाढ़ को आधार मानकर यमुना के दोनों किनारों पर डूब क्षेत्र निर्धारित किया गया है. ऐसे में अब यमुना के दाएं किनारे पर अधिकतम 5.09 किमी और बाएं किनारे पर 2.55 किमी क्षेत्र में सभी तरह के नए निर्माण नहीं हो सकेंगे. आगरा की सीमा में यमुना नदी करीब 167 किमी लंबाई में बहती है. असगरपुर से प्रयागराज तक कुल लंबाई 1056 किमी और क्षेत्रफल 15,925 वर्ग किमी है. नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में तीन साल से डूब क्षेत्र को लेकर सुनवाई चल रही थी. 

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100 साल में यमुना में आई बाढ़ आधार मानक

आगरा के पर्यावरणविद डॉ. शरद गुप्ता की याचिका पर सुनवाई करते हुए 11 सितंबर को डूब क्षेत्र तय करने का आदेश दिया था जिसके बाद 21 दिसंबर को डूब क्षेत्र निर्धारण की अधिसूचना जारी की गई. 29 जनवरी को सिंचाई विभाग ने compliance report एनजीटी में प्रस्तुत की. इसके मुताबिक, पिछले 100 साल में यमुना में आई बाढ़ को आधार मानकर दोनों किनारों पर डूब क्षेत्र निर्धारित किया गया है.

यमुना किनारे नए निर्माणों पर संकट

अब यमुना किनारे नए निर्माणों पर संकट खड़ा होगा. जहां एक तरफ नए निर्माण प्रतिबंधित हो गए हैं. एक रिपोर्ट के अनुसार दयालबाग क्षेत्र में जगनपुर, मनोहरपुर, खासपुर से लेकर नगला बूढ़ी तक 2010 में आई बाढ़ के दौरान पानी घुस गया था. इससे पहले 1978 में बाढ़ आई थी. तब बेलनगंज, बल्केश्वर, दयालबाग और रुनकता तक कई क्षेत्र प्रभावित हुए थे.

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 521 पन्ने की रिपोर्ट एनजीटी में पेश

आपको बता दें कि यमुना डूब क्षेत्र का निर्धारण सेटेलाइट से हुआ है. हैदराबाद की रिमोट सेंसिंग एजेंसी ने यह सर्वे किया है जिसके बाद करीब 521 पन्ने की रिपोर्ट एनजीटी में पेश की गई. इससे पूर्व सिंचाई विभाग ने 1000 से अधिक मुड्डियां यमुना डूब क्षेत्र में लगाई थीं लेकिन, स्पष्ट दिशा-निर्देश नहीं तय होने के कारण कार्रवाई नहीं हो सकी थी.

एक दर्जन से अधिक अवैध निर्माण डूब क्षेत्र में हुए थे ध्वस्त

यमुना डूब क्षेत्र में 5000 से अधिक निर्माण खड़े हैं. इनमें बड़ी संख्या में निर्माण एडीए से स्वीकृत हैं. रुनकता से बाईंपुर होते हुए नगला बूढ़ी, मनोहरपुर, जगनपुर, खासपुर, बल्केश्वर, जीवनी मंडी तक नदी किनारे निर्माण हैं. 2016 में एनजीटी के आदेश पर एक दर्जन से अधिक अवैध निर्माण डूब क्षेत्र में ध्वस्त हुए थे.

(आगरा से व‍िनीत दुबे की र‍िपोर्ट)

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