Coronavirus: सांस टूटने से बचाएगा स्वदेशी ऑक्सीजन कंसंट्रेटर
कोरोना महामारी की दूसरी लहर में ऑक्सीजन की किल्लत को लेकर चारो तरफ मचे हाहाकार को देखते हुए यूपी के राजधानी के दो छात्रों ने एक स्वदेशी कंसंट्रेटर बनाकर लोगों को प्राणवायु देने की कोशिश की है.
लखनऊ:
कोरोना महामारी की दूसरी लहर में ऑक्सीजन की किल्लत को लेकर चारो तरफ मचे हाहाकार को देखते हुए यूपी के राजधानी के दो छात्रों ने एक स्वदेशी कंसंट्रेटर बनाकर लोगों को प्राणवायु देने की कोशिश की है. यूपी की राजधानी लखनऊ मोहनलालगंज के तिरुपति कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग इलेक्ट्रिकल के छात्र आदर्श विक्रम और अम्बेश प्रताप सिंह ने प्रोजेक्ट गाइड व निदेशक आशुतोष शर्मा एवं इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के विभागाध्यक्ष राजेन्द्र दीक्षित के नेतृत्व में यह स्वदेशी कंसंट्रेटर बनाया है. राजेन्द्र दीक्षित ने बताया कि कोरोना संकट के दौरान ऑक्सीजन के लिए चारो तरफ मची किल्लत के बाद हमने देखा कि लोग बाजार से ऑक्सीजन कंसंट्रेटर को कई गुना दामों में खरीद रहे हैं. इससे मन दु:खी हुआ और हमने अपने छात्रों के साथ मिलकर स्वदेशी कंसंट्रेटर का निर्माण किया है. जो बाजार में उपलब्ध कंसंट्रेटर से करीब आधे दामों में ही तैयार किया गया है. इसकी खसियत यह है कि यह पूर्णतया स्वदेशी है.
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दीक्षित ने बताया कि, "हम इसे बजार में उतारने का पूरा प्रयास कर रहे हैं. हम भी प्रशासन के लोगों से संपर्क कर रहे हैं. यह कंसंट्रेटर बाजार में उपलब्ध कंसंट्रेटर से बहुत अच्छा है. यह करीब 10 लीटर प्रति मिनट की क्षमता है. यह वायुमंडल से ऑक्सीजन और नाइट्रोजन को अलग करके 93 से 95 प्रतिशत शुद्ध ऑक्सीजन देने में सक्षम है. इसका वजन सोलह किलो का है. छात्र आदर्श विक्रम ने बताया कि आक्सीजन की कमी को देखते हुए डायरेक्टर और एचओडी की प्रेरणा से इसे बनाया.
उन्होंने बताया कि इसे बनाने के लिए बहुत संघर्ष करना पड़ा है. इसे बनाने में तीन बार निराशा हांथ लगी. लेकिन चौथी बार में यह प्रोडक्ट अच्छा बना है. यह करीब 40 हजार की कीमत में तैयार हो जाएगा. अभी तक जो बजार में वह 5 लीटर प्रति-मिनट का है. अगर इसे 6 और 7 करेंगे. तो आक्सीजन की शुद्धता घट जाती है. लेकिन हमारे द्वारा बनाये गये कंसंट्रेटर में ऐसा नहीं है. इसमें 10 लीटर प्रति मिनट का डिस्चार्ज है. जो गंभीर केसों में कारगर है. अगर 5 से 6 प्रति लीटर रखने पर 90 से 97 तक शुद्ध ऑक्सीजन मिलेगी. अगर इसे 10 लीटर प्रति मिनट रखेंगे तो 80-90 तक शुद्ध आक्सीजन मिलेगी.
दीक्षित ने ये भी कहा कि यह 20 दिनों में बनाया गया है. अगर समान की उपलब्धता होगी तो हर दिन हम लोग 15-20 कंसंट्रेटर बना सकते हैं. टेस्ट और ट्रायल सब कर चुके हैं. इसे अभी ऑक्सीमीटर से चेक किया गया है. अगर सरकार के लोग हमसे संपर्क करेंगे तो हम सहयोग जरूर करेंगे."
निदेषक आशुतोष शर्मा का कहना है कि हमारे छात्रों ने यह स्वदेशी कंसंट्रेटर अभी ट्रायल के तौर पर बनाया है. वर्तमान में इसकी लोगों को बहुत जरूरत है. अगर सरकार सक्रीयता दिखाते हुए हमारे प्रोजेक्ट को देखे तो हम मदद करने को तैयार हैं. हमें सिर्फ सरकार की ओर से समान मिल जाए तो हम इसे तैयार कर देंगे. सरकार इसमें मदद करे तो बहुत जल्द यह लोगों को मदद मिल जाएगी. सरकार इसमें रूचि दिखाए तो बहुत कुछ हो सकता है. अगर हम लोग इसमें अप्रोच करेंगे तो बहुत लंबा समय लगेगा.
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