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सीएम योगी पूर्वांचल के गन्ना किसानों को 9 दिसंबर को देंगे बड़ी सौगात, जानें क्या

मुख्यमंत्री बनने के बाद योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने पूर्वांचल के गन्ना किसानों को बस्ती के मुंडेरवा और गोरखपुर के पिपराइच में चीनी मिलों की सौगात दी थी.अब ये दोनों मिलें चीनी उत्पादन के क्षेत्र में एक नया सोपान जोड़ने जा रही हैं.

Updated on: 08 Dec 2020, 06:52 PM

नई दिल्ली :

मुख्यमंत्री बनने के बाद योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने पूर्वांचल के गन्ना किसानों को बस्ती के मुंडेरवा और गोरखपुर के पिपराइच में चीनी मिलों की सौगात दी थी. अब ये दोनों मिलें चीनी उत्पादन के क्षेत्र में एक नया सोपान जोड़ने जा रही हैं. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा उद्घाटित पिपराइच व मुंडेरवा चीनी मिलें वर्तमान पेराई सत्र में सल्फरलेस चीनी का उत्पादन करेंगी. उत्तर प्रदेश राज्य चीनी एवं गन्ना विकास निगम लिमिटेड की दोनों चीनी मिलों में सल्फरलेस शुगर प्लांट का उद्घाटन बुधवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ करेंगे.

मुंडेरवा चीनी मिल में 9 दिसंबर को दोपहर 12 बजे व पिपराइच चीनी मिल में 1 बजे मुख्यमंत्री द्वारा सल्फरलेस शुगर प्लांट का लोकार्पण होना है, इस दौरान प्रदेश के गन्ना विकास व चीनी मिल विभाग के मंत्री सुरेश राणा भी मौजूद रहेंगे.

चीनी की निर्यात की संभावनाएं अधिक होती है

उत्तर प्रदेश में पहली बार निगम क्षेत्र में सल्फरलेस चीनी का उत्पादन होने जा रहा है. सल्फरलेस उत्पादित होने वाली चीनी की निर्यात की संभावनाएं अधिक होती है. इसके लिए पिपराइच व मुंडेरवा की चीनी मिलों में करीब 25-25 करोड़ रुपये के अत्याधुनिक प्लांट लगाए गए हैं.

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सूबे की कमान संभालने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गोरखपुर-बस्ती मंडल के गन्ना किसानों को पिपराइच व मुंडेरवा चीनी मिलों की सौगात दी थी. इन दोनों ही चीनी मिलों का पेराई का लक्ष्य 65 लाख क्विंटल है, दोनों ही मिलों की 50-50 हजार क्विंटल गन्ना पेराई प्रतिदिन की क्षमता है.

25-25 करोड़ रुपये की लागत की टरबाइन

सल्फरलेस चीनी बनाने के लिए पिपराइच व मुंडेरवा की चीनी मिलों में अत्याधुनिक टरबाइन लगाई गई है. इनके निर्माण पर तकरीबन 25-25 करोड़ रुपये की लागत आई है. नई टरबाइन में चीनी की सफाई के लिए कार्बन-डाई-ऑक्साइड का इस्तेमाल होगा. यह कार्बन डाई-आक्साइड चीनी मिलों को डिस्टिलरियों से मुफ्त मिल जाएगी.

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स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह है सल्फ़र

चीनी उत्पादन की परम्परागत तकनीक में गन्ने के रस को साफ करने के लिए चूने के साथ ही सल्फर डाई ऑक्साइड का इस्तेमाल होता है. चीनी बनने के बाद भी सल्फर का कुछ अंश इसमें रह जाता है, जो स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह है. इसकी वजह से विदेशों में सल्फरयुक्त चीनी प्रतिबंधित है.