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दूसरे राज्यों से आ रहे प्रवासी मजदूरों के बच्चों का यूपी के स्कूलों में होगा दाखिला

प्राथमिक शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. सतीश द्विवेदी ने कहा है कि दूसरे राज्यों से उप्र आ रहे प्रवासी कामगारों के बच्चों का राज्य के स्कूलों में दाखिला कराया जाएगा. उन्होंने कहा कि इसके लिए शीघ्र ही सर्वे का कार्य शुरू किया जाएगा.

Updated on: 30 May 2020, 05:52 PM

लखनऊ:

उत्तर प्रदेश के प्राथमिक शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. सतीश द्विवेदी ने कहा है कि दूसरे राज्यों से उप्र आ रहे प्रवासी कामगारों के बच्चों का राज्य के स्कूलों में दाखिला कराया जाएगा. उन्होंने कहा कि इसके लिए शीघ्र ही सर्वे का कार्य शुरू किया जाएगा. प्राथमिक शिक्षा मंत्री ने कहा कि प्रदेश की योगी सरकार ने सभी को शिक्षा उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा है. जैसे ही स्कूल खुलेंगे, प्रवासी श्रमिकों के बच्चों का शिक्षकों द्वारा सर्वे कराकर सभी को स्कूलों में प्रवेश दिलाया जाएगा. इन बच्चों को वे सभी सुविधाएं दी जाएंगी, जो प्राथमिक विद्यालयों के बच्चों को मिलती हैं.

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नया सत्र कब शुरू होगा, यह पूछने पर डॉ. द्विवेदी ने कहा कि उच्च शिक्षा के लिए अभी जो यूजीसी की गाइडलाइन आई हैं, उसके अनुसार नए प्रवेश सितंबर में शुरू होंगे. पुराने सेमेस्टर की कक्षाएं अगस्त में शुरू करने को कहा गया है. ऐसे में प्राथमिक शिक्षण संस्थान भी पहले की तरह जुलाई में वर्तमान स्थिति को देखते हुए नहीं खुल सकेंगे. स्थिति ठीक होने पर ही इस संबंध में निर्णय लिया जाएगा.

यह पूछने पर कि आपके काफी शिक्षक इस समय राष्ट्रव्यापी बंद के दौरान खाली बैठे हैं, तो इस पर मंत्री ने कहा कि ऐसा नहीं है. कुछ शिक्षक ऑनलाइन क्लास में व्यस्त हैं. वहीं जिन स्कूलों में क्वारंटाइन सेंटर बनाए गए हैं, वहां के शिक्षक वहीं ड्यूटी कर रहे हैं. इसके अलावा जिला प्रशासन ने भी प्राथमिक शिक्षकों को जागरूकता कार्यक्रम में लगाया है. वे राशन वितरण में भी सहयोग कर रहे हैं. वे खाली नहीं बैठे हैं.

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गांवों के लिए ऑनलाइन शिक्षा के बारे में उन्होंने कहा कि पहले यह संभव नहीं लग रहा था, क्योंकि अधिकतर गरीब घरों के बच्चे इन स्कूलों में पढ़ते हैं. लेकिन अधिकारियों के साथ इस विषय पर जब मंथन किया गया तो शिक्षकों में उत्साह जगा और अभिभावकों को व्हाट्सएप ग्रुप से जोड़कर बच्चों को होमवर्क दिया गया. बच्चों ने उसे पूरा भी किया और फोटो खींचकर व्हाट्सएप ग्रुप पर डाला. फिर शिक्षकों ने उसे चेक किया. उन्होंने बताया कि इसके अलावा गूगल ऐप के माध्यम से भी पढ़ाई शुरू की गई. इनमें टिक टाक लर्न आदि ऐप का इस्तेमाल हुआ.

मंत्री ने बताया कि कोरोना संकट से पहले भी भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय के दीक्षा पोर्टल से हम अपने स्कूलों में डिजिटल सामग्री का इस्तेमाल कर रहे थे. उन्होंने बताया कि ऑनलाइन पढ़ाई के लिए हमने आकाशवाणी का भी इस्तेमाल किया और डीडी उत्तर प्रदेश पर भी डेढ घंटे का टाइम स्लाट लिया. पाठयक्रम में बदलाव के बारे में पूछने पर शिक्षा मंत्री ने कहा कि इस संबंध में कई सुझाव आए हैं. मुख्यमंत्री ने भी सुझाव दिया है कि पाठयक्रम में कोरोना जैसी संक्रामक बीमारियों को शामिल किया जाए और आपदा प्रबंधन की जानकारी दी जाए. योग, महापुरुषों, संवैधानिक पदों आदि की जानकारी भी बच्चों को होनी चाहिए. पाठयक्रम में इन सभी विषयों को शामिल करने की योजना बन रही है.

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मिड डे मील में आ रही खामियों के सवाल पर मंत्री ने कहा कि इस योजना में कोई भ्रष्टाचार न हो, इसका इंतजाम विभाग ने किया है और लगातार निगरानी भी हो रही है. एमडीएम को लेकर धारणा थी कि बच्चे उसी के लिए स्कूल आते हैं. लॉकडाउन हुआ तो बच्चों का जरिया ही छिन गया. लॉकडाउन में इसे चलाना मुश्किल था, क्योंकि बच्चे और शिक्षक आते तो सोशल डिस्टेंसिंग नहीं हो पाती. ऐसे में किसी को भी संक्रमण होता तो पूरा गांव खतरे में पड़ सकता था. इसलिए लॉकडाउन में मिड डे मील नहीं चलाया गया, लेकिन अब यह राशन उनके घर पहुंचाया जाएगा.

यह पूछने पर कि शिक्षकों की भर्ती का मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है. ऐसे में क्या लगता है ये भर्ती फंसेगी या निकल जाएगी. इस पर उन्होंने कहा कि मामला हाईकोर्ट में भी गया था. वह सरकार के स्टैंड से सहमत हो गई है. उन्होंने कहा कि लोगों को सुप्रीम कोर्ट में जाने का अधिकार है. वे वहां गए हैं. सुप्रीम कोर्ट ने भर्ती प्रक्रिया को रोका नहीं है. उम्मीद है कि जून में यह भर्ती प्रक्रिया पूरी हो जाएगी.

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इसके साथ ही मंत्री ने योगी सरकार द्वारा स्कूलों के बुनियादी ढांचे की भी जमकर सराहना की. उन्होंने बताया कि योगी सरकार में बच्चों को नई रंगीन वर्दी (ड्रेस), स्वेटर, जूते-मोजे आदि दिए गए हैं. कई नए प्रयोग किए, जैसे पहले टीचर भर्ती हो जाते थे, लेकिन कभी उनकी इन सर्विस ट्रेनिंग नहीं होती थी. अब सरकार ने इस संबंध में संज्ञान लिया है और निष्ठा प्रोग्राम चलाया है, जिससे टीचर ट्रेंड हुए हैं. उन्होंने कहा कि यह दुनिया का सबसे बड़ा ट्रेनिंग प्रोग्राम है. मंत्री ने कहा कि हमने पहली बार प्रदेश के सरकारी स्कूलों में वार्षिकोत्सव शुरू किए. इससे बच्चों की प्रतिभा उभरकर सामने आई.