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प्रयागराज में 'लापरवाही' से बच्चे की मौत, पीएम से मदद की गुहार

इलाहाबाद विश्वविद्यालय छात्र संघ (एयूएसयू) की पूर्व अध्यक्ष रिचा सिंह ने कहा कि पैसे की कमी के कारण बच्चे के माता-पिता को दूसरे अस्पताल में जाने के लिए कहा गया और इस दौरान इलाज में घोर लापरवाही हुई.

Updated on: 09 Mar 2021, 06:40 PM

highlights

  • प्रयागराज में एक तीन साल की बच्ची की मौत को लेकर पीएमओ को लिखा गया पत्र.
  • नेशनल कमीशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स (एनसीपीसीआर) को भी पत्र लिखा गया है.
  • 24 फरवरी और 2 मार्च को बच्ची की दो सर्जरी हुई थी और 6 मार्च को उसकी मौत हो गई.

 

 

प्रयागराज:

समाजवादी पार्टी (सपा) की नेता रिचा सिंह ने प्रयागराज में एक तीन साल की बच्ची की मौत को लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ), नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) और नेशनल कमीशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स (एनसीपीसीआर) को पत्र लिखा है. इसमें उन्होंने कथित रूप से चिकित्सा में हुई लापरवाही के बारे में एक निजी अस्पताल के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की मांग की है. शहर के एक सरकारी अस्पताल में रेफर किए जाने से पहले बच्ची को एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां वह 16 दिन तक रही.

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बच्ची के पिता ने कहा कि इस निजी अस्पताल में सर्जरी के दौरान बच्ची के शरीर पर आए घावों को ज्यों का त्यों ही छोड़ दिया गया था क्योंकि वह हॉस्पिटल ऑथरिटीज को पैसे नहीं चुका पाए थे. इलाहाबाद विश्वविद्यालय छात्र संघ (एयूएसयू) की पूर्व अध्यक्ष रिचा सिंह ने कहा कि पैसे की कमी के कारण बच्चे के माता-पिता को दूसरे अस्पताल में जाने के लिए कहा गया और इस दौरान इलाज में घोर लापरवाही हुई. एनएमसी को भेजे गए अपने पत्र में रिपोर्ट्स और वीडियोज को संलग्न करते हुए रिचा ने हॉस्पिटल के लाइसेंस को रद्द किए जाने की मांग की है.

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एनसीपीसीआर को लिखे अपने पत्र में रिचा ने कहा है कि आयोग की तरफ से भी जिला प्रशासन से इस मुद्दे पर जांच शुरू करने के लिए कहा गया था और जांच चल भी रही है, लेकिन अस्पताल के खिलाफ अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है. एनएमसी और पीएमओ को भेजे गए पत्रों में रिचा ने मामले में कार्रवाई किए जाने का अनुरोध किया है.

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करेली निवासी मुकेश मिश्रा के अनुसार, उनकी तीन साल की बेटी आंतों से संबंधित एक गंभीर बीमारी से पीड़ित थी. उसे 15 फरवरी को एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था. एसआरएन अस्पताल के तहत सरकार द्वारा संचालित बच्चों के अस्पताल में रेफर किए जाने से पहले 24 फरवरी और 2 मार्च को बच्ची की दो सर्जरी हुई थी और 6 मार्च को उसकी मौत हो गई.